बचपन से लगा शौक
अंकिता सिन्हा श्रीवास्तव ने बताया कि मेरी बेसिक शिक्षा बालाघाट से हुई। बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की बेचलर डिग्री गोंदिया से की। चूंकि मुझे ड्राइंग, पेंटिंग और आट्र्स में बचपन से ही इंटरेस्ट था तो मैंने एनिमेशन को अपना बतौर कॅरियर चुना और पुणे में 2 साल का डिप्लोमा किया। डिप्लोमा अवधि में ही जॉब प्लेसमेंट हो गया। पुणे में 2 साल एक नामी कंपनी में जॉब की। इस दौरान लाइफ का अविश्वसनीय सपना पूरा हुआ और कुछ हॉलीवुड मूवीज के पोस्ट-प्रोडक्शन में का काम का मौका मिला। जिसमें एवेंजर्स, टाइटेनिक ३ डी, अब्राहम लिंकन, वैम्पायर हंटर आदि मूवीज शामिल हैं। मेरे पति मेरा हौंसला बनकर हर जगह खड़े रहे।
जॉब में लिखी स्टोरी, मिला पुरस्कार
अंकिता ने बताया कि जब वे जॉब कर रहीं थीं, तब उन्होंने एक स्टोरी लिखी। जिस पर शॉर्ट फिल्म आहुति उनके एक दोस्त ने बनाई। आहुति को इतना पसंद किया गया कि साल 2012 में उसे एमपी फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट स्टोरी का अवॉर्ड दिया गया। 201३ में शादी के बाद जॉब छोडऩा पड़ी। साल 2015 में जर्मनी शिफ्ट हो गईं। वहां स्टोरी लिखती रहीं। इसी बीच घर को संभालने के दौरान कई संघर्षों से गुजरना पड़ा। इसी बीच आहुति की स्टोरी को और डेवलप कर उसे सीरियल में तब्दील करने का मौका मिला।
अंकिता ने बताया कि जब वे जॉब कर रहीं थीं, तब उन्होंने एक स्टोरी लिखी। जिस पर शॉर्ट फिल्म आहुति उनके एक दोस्त ने बनाई। आहुति को इतना पसंद किया गया कि साल 2012 में उसे एमपी फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट स्टोरी का अवॉर्ड दिया गया। 201३ में शादी के बाद जॉब छोडऩा पड़ी। साल 2015 में जर्मनी शिफ्ट हो गईं। वहां स्टोरी लिखती रहीं। इसी बीच घर को संभालने के दौरान कई संघर्षों से गुजरना पड़ा। इसी बीच आहुति की स्टोरी को और डेवलप कर उसे सीरियल में तब्दील करने का मौका मिला।
दोस्तों के साथ बनाया प्रोडक्शन हाउस
अंकिता ने बताया कि 2020 में हमने वापस भारत लौटकर लोकल स्तर पर इस काम को बढ़ाने का विचार किया और अपने घर जबलपुर आ गए। चूंकि डिप्लोमा के दौरान दो दोस्तों के साथ मिलकर एक प्रोडक्शन हाउस बनाया था। जिस पर काम करना शुरू करना था, तो आहुति सीरियल को हमने बनाने का निर्णय किया। जिसका निर्देशन हम सबने मिलकर किया। वहीं फाइनेंस की बात आई तो दोस्त के पापा जो सीरियल में एक्टर भी हैं, उन्होंने सपोर्ट किया। जिसमें अधिकतर कलाकार मप्र के स्थानीय हैं। 22 एपिसोड का सीरियल डीडी एमपी पर रिलीज हुए। जिसकी टीआरपी अच्छी खासी रही और रिस्पॉंस भी मिला। अब हम कुछ और वेब सीरीज और मराठी फिल्मों पर काम कर रहे हैं। जिसके लिए स्थानीय कलाकारों को तवज्जो देने का निर्णय किया है। क्योंकि हम चाहते हैं लोकल कलाकारों को भी वो मंच मिले जो उसके हकदार हैं।
अंकिता ने बताया कि 2020 में हमने वापस भारत लौटकर लोकल स्तर पर इस काम को बढ़ाने का विचार किया और अपने घर जबलपुर आ गए। चूंकि डिप्लोमा के दौरान दो दोस्तों के साथ मिलकर एक प्रोडक्शन हाउस बनाया था। जिस पर काम करना शुरू करना था, तो आहुति सीरियल को हमने बनाने का निर्णय किया। जिसका निर्देशन हम सबने मिलकर किया। वहीं फाइनेंस की बात आई तो दोस्त के पापा जो सीरियल में एक्टर भी हैं, उन्होंने सपोर्ट किया। जिसमें अधिकतर कलाकार मप्र के स्थानीय हैं। 22 एपिसोड का सीरियल डीडी एमपी पर रिलीज हुए। जिसकी टीआरपी अच्छी खासी रही और रिस्पॉंस भी मिला। अब हम कुछ और वेब सीरीज और मराठी फिल्मों पर काम कर रहे हैं। जिसके लिए स्थानीय कलाकारों को तवज्जो देने का निर्णय किया है। क्योंकि हम चाहते हैं लोकल कलाकारों को भी वो मंच मिले जो उसके हकदार हैं।