ये हैं ध्यानचंद के गुरु
इतिहास विद राजकुमार गुप्ता बताते हैं कि संस्कारधानी के महान खिलाड़ी सूबेदार, बाले तिवारी हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के गुरू थे। अविनाश सिद्धू ने भारतीय हॉकी टीम कप्तान के साथ कोच, मैनेजर, रैफनरी की भूमिका भी निभाई। हॉकी के शिखर वर्ष 1928 में ओलंपिक में गोल्ड मैडल जीतने वाली टीम के रैक्स नॉरिस, मॉरिस रॉक जबलपुरियन रहे। वहीं सुलवान सन् 1932, कॉनराय 1948 इंग्लैंड ओलंपिक, पीस ब्रदर्स 1960 ओलंपिक और आस्ट्रेलियन हॉकी कोच मर्व एड्म्स भी जबलपुरियन रहे।
महिला खिलाडिय़ों का जलवा
पमरे जबलपुर की महिला हॉकी खिलाड़ी सुनीता लाकड़ा रियो ओलंपिक में हिस्सा ले चुकी हैं। सुनीता को भारत की महिला हॉकी टीम में शामिल करने खुशी पूरे प्रदेश ने मनाई थी। देश के सबसे पुराने हॉकी के गढ़ जबलपुर को हॉकी से परिचित करवाने का श्रेय ब्रिटिश ऑर्मी को जाता है। 19 वीं शताब्दी के अंत में ब्रिटिश ऑर्मी ने हॉकी से स्थानीय नागरिकों को रूबरू करवाया। हॉकी के गुर सीखकर भारतीय व एंग्लो इंडियन समाज ने खेलना शुरू किया था।
यहां पदस्थ थे ध्यानचंद के पिता
इतिहास के जानकार बताते हैं कि ओल्ड राबर्टसन कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य सर हेनरी शार्प ने 1894 में हॉकी को व्यवस्थित किया था। सन् 1900 में दो क्लब सिटी स्पोट्र्स व केंटोन्मेंट स्पोट्र्स हॉकी क्लब बनाए गए। 20 वीं श्ताब्दी की शुरुआत के पहले दशक में पुलिस विभाग ने हॉकी को अपनाया। तब ऑर्मी की दो बटालियन 33 पंजाबी व फस्र्ट ब्राम्हण का डेरा जबलपुर में था। जिनका नेतृत्व मेजर फेल्ट एवं सूबेदार बाले तिवारी कर रहे थे। उस समय नन्हे ध्यानचंद जबलपुर में पदस्थ अपने पिता के साथ फस्र्ट ब्राम्हण बटॉलियन की बैरक में रहते थे। ब्रिटिश रेजीमेंट चेशायर ने बंबई में लगातार सन् 1910 से 1912 तक आगा खां हॉकी टूर्नामेंट जीते। जबलपुर के देशी क्लबों ने भी लखनऊ का रामलाल हॉकी कप सन् 1915 व 17 में जीता।
हॉकी का था गोल्डन ऐरा
शहर के हॉकी क्लब भोपाल के प्रसिद्ध ओबेदुल्ला एवं इंतीदार हॉकी टूर्नामेंट में डंका बजा चुके थे। सदर निवासी इब्राहिम व राबर्टसन कॉलेज के नुरूल लतीफ में हॉकी का ऐसा कौशल था कि वे सन् 1920 में ऑल इंडिया की किसी भी टीम में खेल सकते थे। एंग्लो इंडियन खिलाडिय़ों से सजी जीआईपी रेलवे तभी उभर कर सामने आई और इस टीम ने सन् 1921, 1922, 1925 एवं 1926 में आगा खां टूर्नामेंट के साथ सन् 1923 में ग्वालियर गोल्ड कप टूर्नामेंट को पहली बार भाग लेते हुए जीता। उस समय जबलपुर के क्लब डीआईजी पुलिस, सिटी व केंटोंमेंट स्पोट्र्स भारत के नामी व प्रथम श्रेणी के क्लबों में शामिल थे। ये जबलपुर की हॉकी का गोल्डन एरा था।
खास तथ्य
– नेमीचंद्र अग्रवाल, एसएन शुक्ला, एसके नायडू व बीके सेठ ने अंतरराष्ट्रीय अम्पायर्स के रूप में ख्याति अर्जित की। इन चारों ने बैंकाक, तेहरान व वर्ष 1980 के एशियन गेम्स में अम्पायरिंग की।
– शहर की स्मिथ सिस्टर्स व नॉरिस सिस्टर्स ने नागपुर क्लब से खेलते हुए प्रदेश को चार बार नेशनल विजेता बनाया।
– सन् 1961 में जबलपुर विश्वविद्यालय में महिला हॉकी प्लेयर्स की संख्या देख महाकौशल महिला हॉकी एसोसिएशन का गठन किया गया।
– सन् 1945 पहला महिला हॉकी क्लब जुबली क्लब बना। महिला हॉकी को सन् 1936 में नागपुर में सीपी एन्ड बरार लेडीज हॉकी एसोसिएशन का गठन के बाद पहचान मिली।
– शहर की महिला हॉकी चारू पंडित, सरोज गुजराल, सिंथिया फर्नाडीज, गीता राय, कमलेश नागरथ, आशा परांजपे, मंजीत सिद्धू और मधु यादव प्रमुख हैं।
– अविनाश संभवत: भारत की एकमात्र महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने हॉकी व वालीबाल दो गेम्स में भारतीय टीम की कमान संभाली। अविनाश बांग्लादेश शूटिंग टीम की खेल मनोवैज्ञानिक भी रहीं और उनके प्रयास से बांग्लादेश ने सैफ खेलों में सफलता पाई।