अभी ये है व्यवस्था
– इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर होमगार्ड कार्यालय में आठ-आठ जवानों की टीम की तैनाती की गई है।
– क्यूआरटी की टीम 24 घंटे तैनात रहती है। टीम के पास एक स्पेशल वीकल भी है।
– डिजास्टर रिलीफ सेंटर में सिंगलदीप (पनागर), सिहोरा, मझौली, भेड़ाघाट और ग्वारीघाट थानों में टीम।
– राज्य आपदा आपातकालीन मोचन बल (एसडीइआरएफ) 28 जवानों की टीम है, जो 24 घंटे तैनात रहती है।
विभाग के पास संसाधन
– आस्का लाइट : पैराशूट के कपड़े के ऊपर लगी आस्का लाइट 300 मीटर दूरी तक रोशनी देतीहै।
– रबर बोट : यह रेडीेमेड वोट है। पानी में फंसे लोगों को निकालने में कारगर होती है।
– डीप डाइविंग किट : गहरे पानी में डूबे व्यक्ति को निकालने में विभाग के दक्ष तैराक इसे पहनकर अंदर जाते हैं।
– चिपिंग हैमर : पानी के भीतर या बाहर आपात स्थिति में बड़े पत्थरों को इसकी मदद से तोड़ा जा सकता है।
– लाइफ बॉय : पानी में फंसे लोग फाइवर से बने इस चक्र को पकडकऱ बाहर निकल सकते हैं।
– लाइफ जैकेट : पानी में फंसे लोग इसे पहनकर अपनी जान बचा सकते हैं। यह 24 घंटे से अधिक समय तक काम करती है।
– विक्टिम लोकेटेड कैमरा : यह आधुनिक उपकरण है। इसकी मदद से किसी इमारत के भीतर की लोकेशन का पता लगाया जाता है।
– वाटर फ्लोटिंग पम्प : इसका उपयोग पानी निकालने में किया जाता है। यह पम्प एक मिनट में एक से तीन हजार लीटर पानी बाहर कर सकता है।
होमगार्ड के कम्पनी कमांडर नरेश साहू ने कहा कि प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए हमारे पास पर्याप्त संसाधन हैं। जरूरत पडऩे पर एनडीआरएफ और सेना से मदद ले सकते हैं। अतिरिक्त उपकरणों की आवश्यकता से शासन को अवगत कराया है।