लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन मध्यप्रदेश के अध्यक्ष विशाल बघेल ने याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि आयुष्मान भारत अस्पताल करमेता, शीतल छाया अस्पताल एवं जबलपुर पब्लिक हेल्थ केयर सेंटर मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल को मप्र नगर विकास एवं आवास विभाग से बिल्डिंग कंपलीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला था। इसके अलावा इन्हें फायर एनओसी भी नहीं मिली थी। इसके बावजूद सीएमएचओ जबलपुर ने मनमाने ढंग से इन अस्पतालों का पंजीयन कर दिया। आयुष्मान भारत अस्पताल के भवन मालिक ने कार्यपूर्णता के लिए नगर निगम में आवेदन दिया था। भवन मालिक ने मानचित्र के साथ भवन अनुज्ञा पत्र संलग्न नहीं किया था। इस कारण नगर निगम ने आवेदन निरस्त कर दिया था। सीएमएचओ ने कार्यपूर्णता सर्टिफिकेट की अधिकृत कॉपी के स्थान पर फोटोकॉपी को मान्य कर लिया जबकि ओरीजनल कॉपी रिकॉर्ड में है ही नहीं। फायर सेफ्टी के बिना अस्पताल संचालन की अनुमति देने से मरीजों और उनके परिजनों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। सीएमएचओ की ओर से अवैध रूप से अस्पताल संचालन की अनुमति दी जाती है और जब शिकायतें आती हैं तो मामले को दबाने के लिए अवैध पंजीयन निरस्त कर दिया जाता है। आग्रह किया गया कि सीएमएचओ, उनकी नर्सिंग होम निरीक्षण टीम और नर्सिंग होम शाखा प्रभारी के खिलाफ जांच कर उचित कार्रवाई की जाए। याचिका में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव, संचालक स्वास्थ्य सेवाएं, नगर निगम आयुक्त और सीएमएचओ जबलपुर को पक्षकार बनाया गया।