मां की आराधना से शुभारंभ- आयोजन का आरम्भ माता रानी के चित्र के समक्ष दीप प्रजवलन से हुआ। प्रतिभागियों ने मनमोहक नृत्य मुद्रा में मां की आराधना की।
कनाडा से आए कपल- पत्रिका के गरबा-डांडिया रास महोत्सव में शामिल होने के लिए वर्शिप श्रीबांगरे व शैलेंद्र बांगरे विशेष रूप से कनाडा से यहां आए थे।
शरीर पर बनवाए टैटू- प्रारम्भिक चरण से ही गरबा खेलने वाले प्रतिभागी उत्साह से लबरेज नजर आए। कुछ प्रतिभागियों ने गरबे के लिए अपने शरीर पर विशेष प्रकार के टैटू भी बनवाएं हुए थे।
थिरकने से नहीं रोक पाएं कदम- आयोजन प्रांगण में जितने दर्शक उपस्थित थे, उतने ही दर्शक बाहर प्रवेश करने के लिए अंतिम समय तक जद्दोहद करते रहे। आयोजन स्थल पर उपस्थित बच्चे, जवान, महिलाएं और बूढ़े भी अपने आप को गरबा मैदान में उतरने ने नही रोक सके।
गरबे से जिंदा भारतीय संस्कृति- महोत्सव में पधारे संत डॉ. स्वामी मुकुंददास जी महाराज ने कहा कि गरबा, डांडिया जैसे परंपरागत आध्यात्मिक नृत्यों व कलाओं ने हमारी संस्कृति को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाई है।
छतरियां रही आकर्षण का केंद्र- गरबा रास के दौरान प्रतिभागियों द्वारा साथ में लाईं गई रंग-बिरंगी छतरियां दर्शकों और अन्य प्रतिभागियों के आकर्षक का केंद्र रहीं।
चलो थोड़ा आराम कर लें- हर राउंड समाप्त होते ही प्रतिभागी जहां कुछ देर विश्राम कर अगले राउंड के लिए ऊर्जा बटोर रहे थे
सेल्फी लेने की होड़- गरबा आरम्भ होने के पूर्व व महोत्सव के दौरान नृत्य सर्किल के अंदर व बाहर सेल्फी लेने के लिए युवाओं में होड़ सी लगी रही।
फहराया तिरंगा- गुजराती पोशाक के साथ राजस्थानी-मारवाड़ी पहनावे के फ्यूजन से बनें परिधान पहने दर्शक पहले तो भक्तिगीतों पर खूब थिरके। जैसे ही समापन की घोषणा हुई युवाओं की टोली ने तिरंगा फहराया।