बता दें कि मध्य प्रदेश शहरी विकास परियोजना के तहत 257 करोड़ की लागत से लोगो का पेयजल संकट दूर करने की शुरूआत 2017 में की गई थी। परियोजना के तहत जबलपुर शहर से सटे इलाकों के साथ ही ग्रामीण इलाकों में पेयजल मुहैया कराना है। इसके तहत ही 2017 में लम्हेटाघाट से परियोजना का आगाज़ हुआ। योजना के तहत नर्मदा नदी के पानी के शुद्धीकरण के लिए लम्हेटाघाट के पास 31 एमएलडी का शुद्धिकरण संयंत्र भी लगाया गया है, जहां पानी को शुद्ध कर साफ पानी को लोगों के घरों तक पहुंचाया जाना है। इसके लिए करीब डेढ़ सौ किलोमीटर लंबी पाइप लाइन के जरिए भेड़ाघाट, पाटन, कटंगी, मझौली, पनागर और सिहोरा जैसे ग्रामीण इलाकों तक पानी घर-घर तक पहुंचाया जाएगा इसके लिए जमीनी स्तर पर काम शुरू हो गया है।
परियोजना की खास बातें -परियोजना की कुल लागत 257 करोड़ रुपए
-2014 की अनुमानित आबादी 221965 को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है
– सभी ग्रामीण क्षेत्रों को शुद्ध जल पहुंचाने के लिए 159.01 किलोमीटर और जल वितरण के लिए 328.5 किलोमीटर लाइन बिछाई जानी है
– अक्टूबर 2021 में भेड़ाघाट नगर परिषद को, दिसंबर 2021 तक पाटन, कटंगी और मझोली को नर्मदा जल घर-घर मिलने लगेगा
-– अब तक 80 फीसदी काम पूरा हो चुका
-2014 की अनुमानित आबादी 221965 को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है
– सभी ग्रामीण क्षेत्रों को शुद्ध जल पहुंचाने के लिए 159.01 किलोमीटर और जल वितरण के लिए 328.5 किलोमीटर लाइन बिछाई जानी है
– अक्टूबर 2021 में भेड़ाघाट नगर परिषद को, दिसंबर 2021 तक पाटन, कटंगी और मझोली को नर्मदा जल घर-घर मिलने लगेगा
-– अब तक 80 फीसदी काम पूरा हो चुका
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भेड़ाघाट क्षेत्र के कई घरों तक पाइप लाइन पहुंचा कर कनेक्शन भी दे दिए गए हैं। घरों में तक नल लगाए जा चुके हैं। लक्ष्य है कि हर घर में नल लगा कर सभी को 24 घंटे अनवरत पानी पहुंचाना है।
भेड़ाघाट क्षेत्र के कई घरों तक पाइप लाइन पहुंचा कर कनेक्शन भी दे दिए गए हैं। घरों में तक नल लगाए जा चुके हैं। लक्ष्य है कि हर घर में नल लगा कर सभी को 24 घंटे अनवरत पानी पहुंचाना है।
ऐसा रहा संकट
बता दें कि जिले के कई ऐसे ग्रामीण इलाके ऐसे हैं जहां लोगों को पीने के पानी के लिए सुबह-सुबह लंबी दूरी तय करनी होती है। गर्मियों में जब भूजल स्तर नीचे चला जाता है तो पेयजल संकट गंभीर हो जाता है, तब लोगों को एक-एक बाल्टी पानी के लिए मीलों दूर तक का चक्कर लगाना पड़ता है।
बता दें कि जिले के कई ऐसे ग्रामीण इलाके ऐसे हैं जहां लोगों को पीने के पानी के लिए सुबह-सुबह लंबी दूरी तय करनी होती है। गर्मियों में जब भूजल स्तर नीचे चला जाता है तो पेयजल संकट गंभीर हो जाता है, तब लोगों को एक-एक बाल्टी पानी के लिए मीलों दूर तक का चक्कर लगाना पड़ता है।
“कोरोना संकट काल के कारण परियोजना में देरी हुई है, लेकिन आने वाले कुछ ही महीनों में भेड़ाघाट समेत अन्य ग्रामीण इलाकों में पानी की सप्लाई शुरू हो जाएगी। इस परियोजना में वर्तमान के साथ-साथ आने वाले 30 साल तक की जनसंख्या को ध्यान में आधार पर काम किया जा रहा है।”-अजय विश्नोई , बीजेपी विधायक