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लाल रेत से बन रहे आशियाने, लागत भी हो रही कम

locationजबलपुरPublished: May 18, 2023 06:03:41 pm

Submitted by:

prashant gadgil

कई तरह की खूूबियाें के कारण बढ़ा चलन, शहर में लग रही इकाइयां
 

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जबलपुर . लगातार महंगी हो रही सामान्य रेत के कारण मकान को तैयार करने में आम आदमी और बिल्डर्स उसके विकल्पों पर ध्यान दे रहे हैं। गिट्टी से बनने वाली काली रेत के साथ अब लाल रेत का चलन तेजी से बढ़ा है। कई तरह की खासियत होने के कारण इसका उपयोग किया जाने लगा है। शहर में इसकी इकाइयां स्थापित होने से यह आसानी से मिल रही है। निर्माण में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रेत की होती है। जैसे ही इसके दाम बढ़़ते हैं तो लागत में बड़ा फर्क आ जाता है। लाल रेत जिसे मैन्युफैक्चरर्ड सेंड (एम-सेंड) कहा जाता है, उसका चलन बढ़ रहा है। इसके अलावा गिट्टी से तैयार रेत का उपयोग निर्माण के कार्यों में होने लगा है। कई बार रेत की कमी होने से इनकी कीमत आसमान पर पहुंच जाती है। बारिश में जब खदाने बंद हो जाती हैं तब दिक्कत ज्यादा होती है। अभी सभी प्रकार के निर्माण में 70 फीसदी सामान्य रेत का उपयोग होता है।

ऐसे होती है तैयार

इस रेत का निर्माण एक विशेष प्रकार के लाल पत्थर से किया जाता है। उसे क्रशर मशीन में डालकर महीन किया जाता है। जितना मोटाई प्राकृतिक रेत में होती है, उसी के अनुरूप इसे बनाया जाता है। क्रांक्रीट और प्लास्टर के लिए अलग-अलग ग्रेड होता है। बिल्डर्स इसे अपने अनुरूप तैयार करवा सकते हैं।

यह है खासियत

– यह धुली रेत की तरह होती है। कंकड़ रहित।

– सिल्ट और मिट्टी की अशुदि्धयां बहुत कम।- 90 प्रतिशत सिलिका, वेस्ट बहुत कम मात्रा में।

– क्रांक्रीट और प्लास्टर के लिए हैं अलग ग्रेड।- प्राकृतिक की जगह मशीनों से होती है तैयार।

– 18 से 20 हजार रुपए प्रति हाइवा है कीमत।- सामान्य रेत 22 से 24 हजार रुपए हाइवा।

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