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नई पीढ़ी कैसे जाने नेताजी को, यहां नहीं मिलतीं किताबें

locationजबलपुरPublished: Jan 23, 2020 07:35:06 pm

– जबलपुर में मालवीय चौक पर एक बुक डिपो पर भी नेताजी से जुड़ी कोई किताब नहीं मिलती

unique memoir of netaji subhash chandra Bose

रहस्यमय स्मारक… जहां आज भी आती हैं नेताजी की आवाजें,रहस्यमय स्मारक… जहां आज भी आती हैं नेताजी की आवाजें,यहां लोगों की रग-रग में समाए हैं नेताजी, हैरान कर देगा राज

जबलपुर. जबलपुर की जनता ने सुभाषचंद बोस को अपनी सर-आंखों पर बैठाया हुआ है लेकिन नई पीढ़ी नेताजी के योगदान से परिचित हो सके, इसके लिए किए जा रहे प्रयास नाकाफी हैं। नेताजी से जुड़े स्मारक स्थलों की हालत तो खस्ता है ही नेताजी से जुड़ी पुस्तकें भी यहां बहुत मुश्किल से मिलती हैं। सदर स्थित दो दुकानों में बहुत छानबीन के बाद मुश्किल से एक-एक किताब मुश्किल से मिलीं। वह किताबें भी बहुत प्रतिष्ठित लेखकों की नहीं थीं। इसके अलावा मालवीय चौक पर भी एक बुक डिपो पर भी नेताजी से जुड़ी कोई किताब नहीं मिली। बहुत छानबीन करने पर उनकी जीवनी पर लिखा गया एक उपन्यास ही मिल सका। ये स्थिति तब है जब नेताजी पर सैकड़ों किताबें लिखी गई हैं और आज भी अनवरत उन पर किताबें लिखीं जा रही हैं।
संस्कारधानी की नस-नस में बसे नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर शहरवासी श्रद्धावनत हैं। लेकिन, इस बात को देख कर दुखी भी हैं कि शहर में उनके दुलारे सुभाष बाबू के स्मारक और प्रतिमाओं का बुरा हाल है। कहीं पहुंचने के मार्ग पर सरकारी निर्माण कर पंगडंडी बना दिया गया है, तो कहीं प्रतिमा के इर्दगिर्द बेतहाशा गंदगी पसरी है। हैरानी की बात तो यह है कि नगर निगम व प्रशासन को ठीक एक दिन पूर्व नेताजी की स्मृतियों का रंग- रोगन करने की सुध आई। बुधवार को नेताजी की प्रतिमा स्थलों पर पुताई करते कर्मियों को देखकर लोगों ने तंज भी कसे।
श्रीनाथ की
तलैया में गंदगी
श्रीनाथ की तलैया में नेताजी के स्वागत की स्मृतियों को संजोए हुए यहां स्थापित प्रतिमा स्थल के चारों ओर बेतहाशा गंदगी फैली है। स्थानीय लोगों ने बताया कि साल में महज एक बार 20-22 जनवरी के बीच इन जगह की ओर प्रशासन का ध्यान जाता है। इस साल भी अभी तक प्रतिमास्थल की सफाई ठीक से नहीं हो सकी है। स्थानीय निवासी संजय तिवारी का कहना है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए हर वर्ष नेतागण यहां आते हैं। इसके बाद अगली जयंती तक नेताओं, नगर निगम और प्रशासनिक अमले का कोई अता-पता नहीं रहता। जयंती को छोड़ दिया जाए तो साल भर यहां राजनीतिक लोग व शासकीय अधिकारी झांकने भी नहीं आते। सुमन जैन कहते हैं कि प्रतिमा स्थल के इर्दगिर्द बने पार्क का पाथ-वे टूट गया है। यहां का पार्क नाले के ऊपर बनाया गया है। कई जगह फर्श हटने से खतरनाक गड्ढे हो गए हैं, जो दुर्घटना का सबब बन सकते हैं।
त्रपुरी स्मारक तक पहुंचने का मार्ग नहीं
कांग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन की याद में तिलवारा घाट के समीप पहाड़ी पर त्रिपुरी स्मारक बनाया गया है। यहां पहुंचने के लिए पहले कच्चा रास्ता था। अब इस रास्ते के मुहाने पर विद्युत सब-स्टेशन व नगर निगम का सुलभ शौचालय बना दिया गया है। इसके चलते स्मारक तक पहुंचने का रास्ता पगडंडी बनकर रह गया है। स्मारक तक पहुंचने के लिए बनी सीढ़ी भी जर्जर हो गई है। इसका जीर्णोद्धार करने के बजाय बुधवार को सिर्फ चूना पोता जा रहा था।
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