वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में जाने वाली नाली कम गहरी होने के कारण बढ़ रहा प्रदूषण
जबलपुर•Apr 23, 2019 / 01:53 am•
shyam bihari
narmada story
जबलपुर। नगर निगम अधिकारियों की करतूत देखकर कोई भी हैरान रह जाए। हद तो यह है कि मां नर्मदा के तट पर भी लोगों की आंखों में धूल झोंकने से जिम्मेदान बाज नहीं आ रहे हैं। वे अपनी नाकामी छिपाने के लिए ग्वारीघाट में नर्मदा में मिलने में वाले नाले को ढंकवा दिया है। मां नर्मदा का आंचल मैला करने वाले के गंदे पानी को भी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाने की पहल नहीं की गई। जहां सैकड़ों श्रद्धालु नर्मदा जल से आंचमन करते हैं, वहां गंदा नाला मिलने से श्रद्धालु आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि इस तरह की हरकतें अक्षम कहीं जाएंगी।
ग्वारीघाट में महिलाओं को वस्त्र बदलने के लिए जो चेंजिंग रूम बनाए गए थे। उनमें कुछ चेंजिंग रूम खराब हो गए थे। ऐसे चेंजिंग रूम की मरम्मत कराने की बजाए उसे ही तोड़कर नाले को ढंक दिया गया है। झंडा चौक व आसपास की बस्ती का पानी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की नाली में जाता है, जहां से ओवरफ्लो होकर नर्मदा जल में मिलता है। इस पर रोक लगाने की कोशिशें बेमानी हैं।
2016 में बना नया ट्रीटमेंट प्लांट
पुराने वॉटर ट्रीटमेंट की क्षमता से अधिक गंदा पानी होने के बाद संतों और सामाजिक संगठनों ने विरोध किया तो वर्ष 2016 में 1.65 करोड़ रुपए की लागत से नया ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया। अब साढ़े 5 लाख लीटर पानी साफ करने की क्षमता है और चार लाख लीटर पानी भी प्लांट में नहीं पहुंच रहा है।
प्लांट की नाली कम गहरी
ग्वारीघाट में प्लांट की ओर जाने वाली नाली कम गहरी है। इस कारण पानी का फ्लो तेज होते ही प्लांट की टंकी में गिरने से पहले ही पानी ओवरफ्लो हो जाता है। इसी नाली से ज्यादा पानी नर्मदा में मिल रहा है। जबकि, सिद्धघाट, उमाघाट और खारीघाट में गंदे नाले सीधे नर्मदा जल में मिल रहे हैं। तीर्थ पुरोहित अभिषेक मिश्रा ने बताया, जो भक्त आस्था के साथ मां नर्मदा तट पर पर आते हैं, नालियों को देख उनका मन द्रवित हो जाता है। अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
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