जबलपुरPublished: Jul 22, 2019 08:47:16 pm
prashant gadgil
जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने पूछा, राज्य सरकार, सोम डिस्टिलरीज व धार कलेक्टर को नोटिस
हाईकोर्ट ऑर्डर
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि शराब निर्माता कंपनी सोम डिस्टिलरीज पर सरकार का करोड़ों रुपए राजस्व बकाया है, इसके बावजूद उसका लाइसेंस कैसे नवीनीकृत कर दिया गया? एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सवाल किया। कोर्ट ने सरकार , आबकारी आयुक्त, सोम डिस्टिलरीज व धार कलेक्टर को नोटिस जारी कर २० अगस्त तक जवाब मांगा।
यह है मामला
भोपाल निवासी गौरव गुप्ता, सचिन गुप्ता ने याचिका दायर कर कहा कि धार जिले में शराब निर्माता कंपनी सोम डिस्टिलरीज का कारखाना है। उन्होंने आरटीआइ के तहत आबकारी विभाग से डिफॉल्टरों की सूची मांगी। छह नवम्बर 2017 को उन्हें जानकारी मिली कि सोम डिस्टिलरीज पर 2004-05 से सरकार की करोड़ों रुपए की राजस्व वसूली बकाया है। कंपनी का नाम डिफाल्टर व ब्लैकलिस्ट में था। इसके बाद 29 दिसम्बर 2017 को आबकारी विभाग ने उन्हें पत्र भेजकर बताया कि उक्त कंपनी का नाम गलती से डिफॉल्टर सूची में उल्लिखित हो गया। इसे विलोपित करने के लिए जिला स्तरीय कमेटी के समक्ष भेजा गया। अधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने तर्क दिया कि 24 जनवरी को जिला स्तरीय समिति ने अनावेदक कंपनी का नाम डिफाल्टर सूची से विलोपित करने से इंकार कर दिया। लेकिन, इसके बाद राज्य सरकार की ओर से कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। बल्कि, नियम विरुद्ध तरीके से अधिकारियों ने कंपनी को दिया गया शराब निर्माण व आपूर्ति का लाइसेंस 2018-19 के लिए फिर नवीनीकृत कर दिया। जबकि, नियमों के तहत डिफॉल्टर या ब्लैक लिस्ट कंपनी का लाइसेंस नवीनीकृत नहीं किया जा सकता। उन्होंने मामले की इओडब्ल्यू से जांच करा कर दोषियों को दंड दिलाए जाने का आग्रह किया।