लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन म.प्र के अध्यक्ष अधिवक्ता विशाल बघेल की ओर से दायर जनहित याचिका में बुधवार को पुन: सुनवाई हुई । नर्सिंग काउंसिल की ओर से उपस्थित हुए उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने तर्क दिया कि यदि हाईकोर्ट अनुमति देती है तो नर्सिंग काउंसिल एक कमेटी बनाकर निजी नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता सम्बन्धी जांच कराने को तैयार है । इस पर कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए कमेटी बनाने की मांग को सिरे से नकार दिया । याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने कोर्ट को बताया कि नर्सिंग काउंसिल की ओर से ग्वालियर संभाग में बनाई गई जांच कमेटी ने गलत रिपोर्ट दी है। अपात्र कॉलेजों को भी क्लीनचिट दी गई है। इसलिए फिर से काउंसिल की कमेटी बनाकर जांच कराना न्यायोचित नही है। उन्होंने तर्क दिया कि हाईकोर्ट के निर्देश पर याचिकाकर्ता ने नर्सिंग काउंसिल के अधिकारियों की उपस्थिति में रिकार्ड अवलोकन किए थे, उसमें भी अपात्र ,फर्जी व डुप्लीकेट फैकल्टी प्रदर्शित करने वाले कॉलेजों को मान्यता दिया जाना पाया गया था। उनके संज्ञान में आने के बाद भी नर्सिंग काउंसिल ने उन पर कारवाई करने की बजाय पुन: मान्यता जारी कर दी। दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल से पूछा कि 3 माह पूर्व जिन 453 नर्सिंग कॉलेजों को उनके पास उपलब्ध संसाधन बिल्डिंग फैकल्टी इत्यादि के संबंध में जो नोटिस जारी किए गए थे, उन पर क्या कारवाई की गई? नर्सिंग कौंसिल को निर्देश दिए कि सुबह 10 बजे तक रजिस्ट्रार शपथ पत्र में बतावें कि कितने कॉलेजों को नोटिस जारी किये गये थे ? कितनों के जबाब आये ? कितनो के विरुद्ध क्या क्या कार्यवाही की है? कितनों के विरुद्ध कार्यवाही होना शेष है ? कितने कॉलेजों की मान्यता समाप्त की गयी है ? कोर्ट ने मामले में 7 प्रदिवादी कॉलेजों की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता अंकिता खरे की दलीलें सुनने के बाद इन कॉलेजों के विरुद्ध भी कार्रवाई के निर्देश नर्सिंग काउंसिल को दिए। अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी।