जबलपुर संभाग के चीफ इंजीनियर रविवार को औचक निरीक्षण पर पाटन मुख्यालय पहुंचे। वे वहां पहुंचे, तो मातहतों पर वे जमकर नराज हुए, क्योंकि मुख्यालय में न तो डीई थे और न ही अधीनस्थ स्टाफ। चीफ इंजीनियर ने लगभग तीन घंटे तक इंतजार किया, लेकिन डीई नहीं पहुंचे, जिसके बाद डीई को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इतना ही नहीं अधीक्षण अभियंता से से भी जवाब तलब किया गया है। पाटन से लगातार विद्युत व्यवधानों की शिकायतें मिल रही थीं, जिसके बाद चीफ इंजीनियर वहां पहुंचे थे।
समीक्षा की, लाइनों का निरीक्षण
चीफ इंजीनियर प्रकाश दुबे शनिवार शाम पाटन मुख्यालय पहुंचे। उन्होंने पाटन समेत नुनसर, महगवां, कैमौरी समेत अन्य गांवों की विद्युत संबंधी शिकायतों की समीक्षा की, तो कई एेसे मामले सामने आए, जिसमें पाटन के डीई मनीष बेन व स्टाफ की कमियां उजागर हुई। उन्होंने लाइनों का भी निरीक्षण किया। ग्रामीणों से बात की, तो पता चला कि अधिकारी अक्सर दफ्तर में नहीं मिलते है, एेसे में यदि लाइट गुल हो जाए, तो पूरे गांव को घंटो अंधेरे में काटना पड़ता है।
अधीक्षण अभियंता ने किया नजर अंदाज
जानकारी के अनुसार डीई मनीष बेन व डीई के खिलाफ लगातार आला अफसरों को शिकायतें मिल रही थीं, जिस पर अधीक्षण अभियंता को इसकी जांच के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने इसे नजर अंदाज किया। रविवार को निरीक्षण के दौरान जब डीई मनीष बेन वहां नहीं पहुंचे, तो उनसे संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन वह नहीं हो सका। जिसके बाद उन्हें नोटिस जारी किया गया। वहीं बार बार कहने के बावजूद कार्रवाई व जांच न करने पर अधीक्षण अभियंता केके सोनवाने से भी स्पष्टीकरण मांगा गया।
इधर मौके पर पहुंच रहे कर्मचारी
इधर शहर में बिजली उपभोक्ताओं की शिकायतों का जल्द निराकरण हो सके, इस लिए जेई व ईई को कार्यालयों में तैनात किया गया है। वहीं मैदानी अमले को भी प्रत्येक शिकायत पर तत्काल भेजा जा रहा है वह उसकी समीक्षा भी की जा रही है।
वर्जन
पाटन मुख्यालय के औचक निरीक्षण के दौरान डीई मनीष बेन वहां नहीं मिले। तीन घंटे इंतजार के बाद भी वे नहीं पहुंचे, तो उन्हें शोकॉज नोटिस व अधीक्षण अभियंता केके सोनवाने से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया है।
प्रकाश दुबे, चीफ इंजीनियर, जबलपुर संभाग
चीफ इंजीनियर प्रकाश दुबे शनिवार शाम पाटन मुख्यालय पहुंचे। उन्होंने पाटन समेत नुनसर, महगवां, कैमौरी समेत अन्य गांवों की विद्युत संबंधी शिकायतों की समीक्षा की, तो कई एेसे मामले सामने आए, जिसमें पाटन के डीई मनीष बेन व स्टाफ की कमियां उजागर हुई। उन्होंने लाइनों का भी निरीक्षण किया। ग्रामीणों से बात की, तो पता चला कि अधिकारी अक्सर दफ्तर में नहीं मिलते है, एेसे में यदि लाइट गुल हो जाए, तो पूरे गांव को घंटो अंधेरे में काटना पड़ता है।
अधीक्षण अभियंता ने किया नजर अंदाज
जानकारी के अनुसार डीई मनीष बेन व डीई के खिलाफ लगातार आला अफसरों को शिकायतें मिल रही थीं, जिस पर अधीक्षण अभियंता को इसकी जांच के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने इसे नजर अंदाज किया। रविवार को निरीक्षण के दौरान जब डीई मनीष बेन वहां नहीं पहुंचे, तो उनसे संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन वह नहीं हो सका। जिसके बाद उन्हें नोटिस जारी किया गया। वहीं बार बार कहने के बावजूद कार्रवाई व जांच न करने पर अधीक्षण अभियंता केके सोनवाने से भी स्पष्टीकरण मांगा गया।
इधर मौके पर पहुंच रहे कर्मचारी
इधर शहर में बिजली उपभोक्ताओं की शिकायतों का जल्द निराकरण हो सके, इस लिए जेई व ईई को कार्यालयों में तैनात किया गया है। वहीं मैदानी अमले को भी प्रत्येक शिकायत पर तत्काल भेजा जा रहा है वह उसकी समीक्षा भी की जा रही है।
वर्जन
पाटन मुख्यालय के औचक निरीक्षण के दौरान डीई मनीष बेन वहां नहीं मिले। तीन घंटे इंतजार के बाद भी वे नहीं पहुंचे, तो उन्हें शोकॉज नोटिस व अधीक्षण अभियंता केके सोनवाने से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया है।
प्रकाश दुबे, चीफ इंजीनियर, जबलपुर संभाग