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एफआईआर में आठ हजार से ज्यादा शब्द हो तो कर दी जाती है काट छांट, ये है वजह

locationजबलपुरPublished: Dec 28, 2017 09:39:54 am

Submitted by:

virendra rajak

सीसीटीएनएस में शब्द संख्या निर्धारित होने से बढ़ी परेशानी
 

OMG: If there is more than eight thousand words in the FIR it was crus

OMG: If there is more than eight thousand words in the FIR it was crus

जबलपुर. सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम) में एफआईआर के लिए निर्धारित शब्द संख्या आवेदकों के साथ पुलिस के लिए भी परेशानी का सबब बन रही है। कई मामले ऐसे होते हैं, जिनका विवरण १०-१२ हजार शब्दों का होता है। सीसीटीएनएस में एफआईआर आठ हजार शब्दों तक ही ली जा सकती है। एेसे में कई महत्वपूर्ण तथ्यों को एफआईआर से काट दिया जाता है। इसका फायदा न्यायालय में आरोपित को मिलता है। सीसीटीएनएस में खात्मा और चालान के मामलों में क्रमवार संख्या का कॉलम नहीं है। एक ही कॉलम में चालान और खात्मा रिपोर्ट की जानकारी होती है। इसमें काटछांट से आवेदकों व विवेचना अधिकारियों को परेशानी होती है। पीडि़त द्वारा लंबी-चौड़ी शिकायत करने पर ड्यूटी अफसर मनमाने ढंग से काटछांट कर देते हैं।

इन मामलों मेें होती है परेशानी

धोखाधड़ी : पीडि़त रुपयों के लेनदेन से सम्बंधित शिकायतों का पूरा विवरण एफआईआर में लिखवाना चाहता है। ऐसे में कई बार एफआईआर में 10000 से १२000 शब्द हो जाते हैं। पुलिस के लिए भी परेशानी का सबब बन रही है।

अमानत में खयानत : अमानत में खयानत के मामलों में अधिकतर शिकायत का विवरण लम्बा-चौड़ा होता है। शब्द संख्या अधिक होने पर इसे छोटा करना पड़ता है।

दहेज प्रताडऩा : दहेज प्रताडऩा के मामलों में पीडि़ता पूरा विवरण दर्ज कराना चाहती है। ऐसे में शब्द संख्या आठ हजार से अधिक हो जाती है।
जमीन संबंधी : जमीन सम्बंधित धोखाधड़ी के मामलों की जांच शिकायत के बाद होती है। इसलिए एफआईआर में जांच की जानकारी विस्तार से नहीं आ पाती।

ये करते हैं मनमानी

कम्प्यूटर ऑपरेटर : यदि विवेचना अधिकारी कम्प्यूटर ऑपरेटर को पीडि़त का आवेदन पत्र दे दे। विवरण लम्बा होने पर ऑपरेटिंग का काम करने वाले पुलिस जवान कई बार एेसे तथ्य एफआईआर से हटा देते हैं, जिन्हें पीडि़त आवश्यक समझता है।

ड्यूटी अफसर : एफआईआर दर्ज करने की जिम्मेदारी ड्यूटी अफसर की होती है। पीडि़त द्वारा लंबी-चौड़ी शिकायत करने पर ड्यूटी अफसर मनमाने ढंग से काटछांट कर देते हैं।

ये तरीका अपनाते हैं

बयान में बाकी बातें व तथ्य लाने के लिए आवेदक से कहा जाता है।
अलग से आवेदन संलग्न करने के लिए भी कहा जाता है।
तथ्यों की जगह दस्तावेज संलग्न किए जाते हैं।

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