scriptChaturmas : श्रेष्ठ आहार लें तो नहीं होगी औषधियों की जरूरत | If you take the best diet then there will be no need for medicines | Patrika News

Chaturmas : श्रेष्ठ आहार लें तो नहीं होगी औषधियों की जरूरत

locationजबलपुरPublished: Aug 20, 2021 07:58:20 pm

Submitted by:

praveen chaturvedi

दयोदय तीर्थ गोशाला में चातुर्मास के लिए विराजमान संत आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा कि आहार ही औषधि है। यदि आप श्रेष्ठ आहार लेते हैं तो औषधि लेने की आवश्यकता ही नहीं है।

Acharya Vidyasagar

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जबलपुर. दयोदय तीर्थ गोशाला में चातुर्मास के लिए विराजमान संत आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा कि आहार ही औषधि है। यदि आप श्रेष्ठ आहार लेते हैं तो औषधि लेने की आवश्यकता ही नहीं है। किसी भी देश या विदेश में इस तरह का प्रचलन देखने को नहीं मिलता, किंतु जैन परंपरा में यह आज भी उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि इसका सम्बंध पुरातन काल से है। यह आज भी प्रचलन में है। हम भोजन पानी आहार बिहार का पूरा विचार रखते हैं। लेकिन फिर भी रोग आ रहे हैं। क्योंकि हमारा आहार-विहार गड़बड़ हो रहा है। यदि आपको स्वस्थ जीवन जीना है, तो कुछ वस्तुओं का त्याग करना चाहिए। मोटापा मधुमेह आदि रोगों का कारण हृदय एवं पाचन तंत्र से सम्बंधित है। इसके लिए हमें भोजन में कुछ वस्तुओं का त्याग करना चाहिए। आज अमेरिका में एक अभियान चल रहा है जिसमें गेहूं का सेवन नहीं किया जाता है।

ग्रामीण ज्यादा स्वस्थ
भारत में ग्रामीणजन ज्यादा स्वस्थ रहते हैं। क्योंकि उनका आहार बहुत नपा तुला और संतुलित होता है। वे शुद्ध भोजन करते हैं और परिश्रम करते हैं। जबकि शहरी नागरिकों को हर बात डॉक्टर को समझानी पड़ रही है कि क्या खाना है और क्या
नहीं खाना।

अनिष्ट, अनाचार से बचें
आचार्यश्री ने कहा भारतीय आयुर्वेद में तो स्वप्न आने की विवेचना करने से ज्ञात हो सकता है कि कफ, वात या पित्त से आप पीडि़त हैं। सुख की नींद से सोना चाहते हैं तो अनिष्ट और अनाचार से बचिए। भारतीय परम्पराओं में फल को खाने के भी नियम हैं। कई सारे रोगों का निदान फल के सेवन से किया जा सकता है। पानी भी विषाक्त हो रहा है। पानी को शुद्ध करने के लिए कई केमिकल का प्रयोग किया जाता है। जैन धर्म में प्रासुक जल का प्रयोग बताया गया है भोजन भी प्रासुक होना चाहिए। आजकल शीतल जल का प्रयोग बढ़ गया है जो हानिकारक है। जल और भोजन प्रासुक लेने से यदि भोज्य पदार्थ में किसी तरह का कोई विषाणु है तो वह समाप्त हो जाएगा और शरीर को नुकसान नहीं करेगा।

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