ग्रामीण ज्यादा स्वस्थ
भारत में ग्रामीणजन ज्यादा स्वस्थ रहते हैं। क्योंकि उनका आहार बहुत नपा तुला और संतुलित होता है। वे शुद्ध भोजन करते हैं और परिश्रम करते हैं। जबकि शहरी नागरिकों को हर बात डॉक्टर को समझानी पड़ रही है कि क्या खाना है और क्या
नहीं खाना।
अनिष्ट, अनाचार से बचें
आचार्यश्री ने कहा भारतीय आयुर्वेद में तो स्वप्न आने की विवेचना करने से ज्ञात हो सकता है कि कफ, वात या पित्त से आप पीडि़त हैं। सुख की नींद से सोना चाहते हैं तो अनिष्ट और अनाचार से बचिए। भारतीय परम्पराओं में फल को खाने के भी नियम हैं। कई सारे रोगों का निदान फल के सेवन से किया जा सकता है। पानी भी विषाक्त हो रहा है। पानी को शुद्ध करने के लिए कई केमिकल का प्रयोग किया जाता है। जैन धर्म में प्रासुक जल का प्रयोग बताया गया है भोजन भी प्रासुक होना चाहिए। आजकल शीतल जल का प्रयोग बढ़ गया है जो हानिकारक है। जल और भोजन प्रासुक लेने से यदि भोज्य पदार्थ में किसी तरह का कोई विषाणु है तो वह समाप्त हो जाएगा और शरीर को नुकसान नहीं करेगा।