scriptहोटलों में खतरे की अनदेखी, देखिए कैसी है व्यवस्था! | Ignore danger in hotels, see how the system is | Patrika News

होटलों में खतरे की अनदेखी, देखिए कैसी है व्यवस्था!

locationजबलपुरPublished: Oct 26, 2019 01:04:00 pm

Submitted by:

manoj Verma

उंची इमारतों ने अग्निशमन यूनिट पर फेर दिया पानी, अनिवार्य यूनिट पर की जा रही खानापूर्ति, अग्निदुर्घटनाओं से अनदेखी, इंदौर कांड से नहीं लिया सबक

होटलों में खतरे की अनदेखी

उंची इमारतों ने अग्निशमन यूनिट पर फेर दिया पानी, अनिवार्य यूनिट पर की जा रही खानापूर्ति

जबलपुर। शहर के बहुमंजिला होटलों में आग का खतरा बना हुआ है। इन होटलों में आग बुझाने के पर्याप्त साधन नहीं है। इससे विषम स्थिति उत्पन्न होने पर त्वरित राहत नहीं मिल सकती है। एक्सपोज पड़ताल में यह सामने आया है कि शहर के विभिन्न होटलों में अग्निशमन यंत्र दिखाने को लगा दिए गए हैं। कुछ होटलों में तो फायर स्टिंगुलर भी नहीं हैं, जबकि प्रशासन ने बहुमंजिला इमारतों सहित होटलों में अग्निशमन यूनिट लगाना अनिवार्य किया है। गौरतलब है कि इंदौर में होटल में लगी आग से सबक नहीं लिया है। शहर के होटलों की हकीकत पर विशेष रिपोर्ट…।
शहर कीे घनी बस्ती और व्यावासायिक केन्द्रों के बीच बहुमंजिला इमारतों में होटलों में अग्निसुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। इन इमारतों में लग्जरी सुविधाएं तो दे दी है लेकिन तकनीकी और गैरतकनीकी रूप से लोगों की सुरक्षा का अभाव है। जानकार कहते हैं कि इन इमारतों में आग जैसे हादसा होने पर मौजूद लोग सुरक्षित नहीं हैं। एेसे लोगों को बाहर निकालने का कोई रास्ता नहीं है। घनी बसाहट होने की वजह से आसपास भी खतरा बना हुआ है। गौरतलब है कि बहुमंजिला इमारतों की स्वीकृति नगरीय प्रशासन विभाग के फायर इंजीनियर आदि देते हैं, वे ही इस पर नजर रखते हैं। निर्माण के बाद इन भवनों की जांच नहीं होती है।
अग्निशमन यूनिट नहीं
होटलों की हालत यह है कि यहां तीन से चार मंजिला भवन बनाया गया है। इन भवनों में होटलों के कमरे, कॉरीडोर, कॉप्रेंस हॉल, पार्टी हॉल, किचिन सहित अन्य सुविधाएं दी गई हैं। इन भवनों में अग्निशमन यूनिट नहीं लगाया गया है। कुछ इमारतों के एक फ्लोर में एक-दो फायर यंत्र लगा दिया गया है। इस जगह पर आग बुझाने के लिए रेत या फिर अन्य व्यवस्था नहंी की गई है।
ये है व्यवस्था
बहुमंजिला होटलों में अग्निशमन यूनिट के तहत ओवरहेड टैंक के जरिए इमारत की हर मंजिल में पानी की बौछार मारने के लिए उपकरण लगाया जाना है। इसे पाइप के माध्यम से फ्लोर में जोड़ा जाएगा। एडस्टेबिल पाइप की लंबाई भवन की चौड़ाई से अधिक होनी चाहिए। ओवरहेड टैंक से पानी को रफ्तार से फेंकने के लिए इसमें मोटर का इस्तेामाल होना चाहिए। इसमें पानी या फिर टेंडर फोम जैसे द्रव्य का इस्तेमाल किया जा सकता है।दिखावा बना लैंडरहोटलों में बनाई गई सीढि़यों का लैंडर दिखाने को बनाया गया है। भवन की उंचाई और सीढि़यों के साइज के हिसाब से नहीं बना है। आपातकालीन स्थिति में इस जगह से एक समय में ज्यादा लोग नहीं निकल सकते हैं, जिससे यहां लोगों को परेशानी होगी। नियमानुसार सीढि़यों की चौड़ाई से अधिक इसका लैंडर होना चाहिए ताकि आने-जाने वाले लोग आसानी से निकल सके। हकीकत यह है कि यहां सीढि़यां संकरी बनी हुई है। लैंडर भी छोटा है। इससे एक समय में एक-दो लोगों से अधिक लोग नहीं निकल सकते हैं।
ये थे हालात
मिड टाउन
रसल चौक से स्टेशन रोड पर होटल मिड टाउन है। यह तीन-चार मंजिला का है। उपरी मंजिल पर जाने के लिए यहां लिफ्ट के अलावा सीढि़यां बनी है। होटल की हकीकत यह है कि यहां संकरी सीढ़ी है। यहां लैंडर भी छोटा है। खड़ी सीढि़यां होने की वजह से यहां एक समय में दो-तीन लोगों से अधिक लोग नहीं जा सकते हैं। यहां अग्निसुरक्षा के लिए फायर यूनिट नहीं है।
स्वास्तिक होटल
रसल चौक पर ही स्वास्तिक होटल है। यह होटल मार्केट के प्रथम तल पर है। इसके अलावा होटल के अन्य दो मंजिल और हैं, जिसमें यात्रियों को ठहराया जाता है। होटल की उपरी मंजिल में जाने के लिए लिफ्ट नहीं है। यहां सीढि़यों से ही आना-जाना होता है। यहां होटल का किचन भी प्रथम तल पर बनाया गया है। होटल की हालत यह है कि यहां प्रथम तल पर मात्र एक अग्निशमन यंत्र लगा हुआ था। इसके अलावा अन्य तलों पर अग्नि सुरक्षा के तहत कोई साधन नहीं थे।
होटल सिद्धार्थ
नेपियर टाउन का यह होटल बहुमंजिला है। इस होटल में तीन मंजिलों में यात्रियों को ठहरवाने की व्यवस्था है। होटल में उपरी मंजिलों तक जाने के लिए लिफ्ट के अलावा सीढि़यां हैं। होटल में अग्नि सुरक्षा के लिए यूनिट नहीं लगाया गया है। सीढि़यां इतनी संकरी बनी है कि एक समय में दो ही व्यक्ति आ-जा सकते हैं। इसमें सीढि़यों के बीच की लैंडिंग के कोने में लिफ्ट है, जिससे होकर दूसरी सीढ़ी तक जाना पड़ता है।
होटल सम्राट
इस होटल में अग्निशमन यूनिट स्थापित है। प्रथम तल से लेकर उपरी मंजिलों तक यूनिट के पाइप बिछाए हुए हैं। इस जगह यह जरूर है कि सीढि़यों के बीच के लैंडर में कम जगह है, जिससे एक समय में दो-तीन लोगों से अधिक लोग यहां से गुजर नहीं सकते हैं।

हमसे यदि बहुमंजिला इमारतों में फायर संबंधी सुझाव मांगे जाते हैं तब हम उन्हें स्पॉट देखकर सुझाव देते हैं। हम लोगों को जागरूक करते हैं और हादसा होने पर जल्द से जल्द मौके पर पहुंचते हैं।
कुषाग्र ठाकुर, प्रभारी, फायरबिग्रेड, नगर निगम
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