scriptलोकसभा चुनाव 2019 में अहम होगा महंगी शिक्षा और उसकी गिरती गुणवत्ता का मुद्दा | Important issues for Lok Sabha elections for BJP-Congress | Patrika News

लोकसभा चुनाव 2019 में अहम होगा महंगी शिक्षा और उसकी गिरती गुणवत्ता का मुद्दा

locationजबलपुरPublished: Mar 20, 2019 01:32:28 am

Submitted by:

abhishek dixit

‘पत्रिका मुद्दा’ के माध्यम से अभिभावक, छात्रों ने खुलकर व्यक्त किए अपने विचार

loksabha chunaav

Loksabha Chunav 2019

जबलपुर. महंगी होती शिक्षा से हर वर्ग परेशान है। चाहे वह स्कूली शिक्षा का मामला हो या फिर उच्च शिक्षा का। आर्कषक बिल्डिंग खड़ी तो कर ली जाती हैं लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता सामान्य स्तर तक की नहीं होती। सरकार इस दिशा में कताई गंभीर नहीं है। सरकार को चाहिए कि वह महंगी होती जा रही शिक्षण व्यवस्था पर लगाम लगाए। ऐसे ही विचार ‘पत्रिका मुद्दा’ के माध्यम से अभिभावक, छात्रों ने खुलकर व्यक्त किए। उन्होंने सरकार और व्यवस्थाओं को आड़े हाथों लिया।

मेहनत हम करते हैं, नाम स्कूल का
अभिभावक ज्योति गठेरे ने कहा कि प्राइवेट स्कूल में महंगी फीस देकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं लेकिन बच्चे पूरी तरह प्रीपेयर नहीं हो रहे हैं। हमें बच्चों के पीछे लगना पड़ता है। स्कूल फीस तो तगड़ी ले रहे हैं लेकिन शिक्षण कार्य सामान्य स्तर तक का नहीं दे रहे हैं। स्कूल सिर्फ बिल्डिंग तानकर स्टेण्डर्ड बना लेते हैं लेकिन बच्चों पर फोकस नहीं करते। हम एक्स्ट्रा एफर्ट करते हैं लेकिन नाम स्कूलों का होता है। सरकार को ऐसी स्कीम बनाना चाहिए कि सरकारी स्कूलों का स्टेण्डर्ड बढ़े ताकि प्राइवेट स्कूलों का बिजिनेस कम हो।

कॉलेजों में नहीं लगती कक्षाएं
शिक्षक सुरेश नामदेव कहते हैं कि कॉलेजों में कक्षाएं नहीं लगती, योग्य शिक्षक नहीं हैं। छात्रों की पढ़ाई अब कोचिंग संस्थानों पर टिकी है। जिसके मां-बाप पर भी आर्थिक भार पड़ रहा है। कोचिंग संस्थानों में भी शिक्षक क्वालीफाइड नहीं हैं। छात्रा कुमकुम, अमित जायसवाल, पवन राजपूत ने शिक्षा के स्तर में सुधार और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जाने की आवश्यकता जताई।

बिना डोनेशन के एडमिशन नहीं
अभिभावक अब्दल लतीफ की तल्ख होते हुए कहा कि हम मध्यम परिवार से हैं। किसी भी बड़े स्कूल में बिना डोनेशन के एडमिशन नही होता। साल भर एक्टीविटी के नाम पैसे लिए जाते हैं जिससे अभिभावक की कमर टूट जाती है। सरकार को प्राइवेट स्कूलों के लिए कड़े नियम लागू करना चाहिए। उच्च शिक्षा में नीट, पीइटी कराने के लिए 5 लाख सालाना फीस है। आम आदमी फीस को देखकर ही घबरा जाता है।

बदतर हो गईं व्यवस्थाएं
ब्रजेश श्रीवास ने नाराजगी व्यक्त की कि कॉलेजों की व्यवस्थाएं बदत्तर हो गई है। कॉलेजों को केवल फीस से मतलब है चाहे छात्र पढऩे आए या न आए। संतोष नामदेव ने कहा कि शिक्षा का परिवेश महंगा हो गया है। सभी में दिखावा और प्रतिस्पर्धा चल रही है। रविंद्र बावरिया कहते हैं कि स्कूलों की फीस कम होनी जरूरी है ताकि आम वर्ग बच्चों को पढ़ा सके।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो