scriptबदला-बदला माहौल नजर आता है | In Jabalpur, the opposition try to outbid each other | Patrika News

बदला-बदला माहौल नजर आता है

locationजबलपुरPublished: Aug 07, 2019 07:42:47 pm

Submitted by:

shyam bihari

जबलपुर में पक्ष-विपक्ष एक दूसरे पर भारी पडऩे की कोशिश में

chhindwara

netaji

जबलपुर। महाकोशल क्षेत्र के महत्वपूर्ण शहर जबलपुर में इस समय राजनीतिक माहौल बदला-बदला सा नजर आ रहा है। कुछ समय पहले तक प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस विपक्ष में थी। अब भाजपा है। पहले जब कांग्रेस वाले सड़क पर उतरते थे, तो पुलिस पर ज्यादती का आरोप लगाते थे। अब वही आरोप भाजपा की ओर से लगाए जा रहे हैं। पहले एनएसयू के कार्यकर्ता पुलिस लाठीचार्ज का सामना करते थे। अब एबीवीपी के कार्यकर्ता वही झे रहे हैं।
बात नहीं रखने देने का आरोप
हाल ही में एनएसयूआई के कार्यकर्ता विवि में आक्रामक हुए। जवाब में एबीवीपी वाले भी उतर आए। पुलिस ने लाठियां भांजी। भाजपा तक मामला पहुंचा। संगठन ने हल्ला बोल दिया। उनके प्रदर्शन पर भी पुलिस आक्रामक हुई। इस पर भाजपा की ओर से आरोप लगाया गया कि विपक्ष को लोकतांत्रिक ढंग से अपनी बात भी नहीं रखने दी जा रही है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से पुलिस की कार्यप्रणाली द्वेषपूर्ण और अराजक हो गई है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने एसपी कार्यालय घेरा। प्रदेश सरकार व पुलिस प्रशासन के विरोध में नारेबाजी की राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। विरोध प्रदर्शन के दौरान भाजपा नगर अध्यक्ष जीएस ठाकुर ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से जबलपुर में ये देखने में आ रहा है की जिले का पुलिस प्रशासन आम नागरिकों को वैधानिक संरक्षण एवं सुरक्षा प्रदान करने के बजाय प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के उपक्रम के तौर पर काम कर रहा है। इस दौरान विधायक अशोक रोहाणी, युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष पांडे, विधायक अंचल सोनकर, हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू जैसे चेहरे नजर आए।
उधर, कांग्रेस और एनएसयूआई के कार्यकर्ता भी सड़क पर हंगामा कर रहे हैं। उनका कहना है कि सत्ता से हटने के बाद भाजपा और उसके संगठन खीझ उतार रहे हैं। इन सबके बीच जानकारों का कहना है कि यह सब कोई अनोखी बात नहीं है। सत्ता परिवर्तन के बाद शासन-प्रशासन की रीति-नीति में बदलाव आता ही है। इससे पक्ष-विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप स्वाभाविक प्रक्रिया है। हालांकि, जानकारों को यह भी कहना है कि पुलिस प्रशासन को ईमानदार होने की जरूरत होती है। कोई भी पक्ष यह आरोप नहीं लगा पाए कि उनके कार्यकर्ताओं पर लाठी जबरन बरसाई जा रही है।
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