जबलपुर

खटुआ प्रकरण में तीन अधिकारियों से चार घंटे पूछताछ

जीसीएफ के तीन अधिकारियों को नोटिस, घमापुर थाने में कई घंटे पूछताछ-खटुआ की मौत मामले की जांच कर रही एसआइटी सोमवार को भी जीसीएफ में पहुंची थी जांच करने

जबलपुरFeb 12, 2019 / 12:12 pm

santosh singh

GCF to play key role in Sharang cannon after bow

जबलपुर। गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) में जूनियर वक्र्स मैनेजर एससी खटुआ की हत्या प्रकरण में सोमवार को एसआइटी ने तीन अधिकारियों को घमापुर थाने में लम्बी पूछताछ की। हत्याकांड को लेकर अब तक कोई दिशा तय न कर पाने वाली एसआइटी ने अब धनुष तोप बेयरिंग प्रकरण से जुड़े लोगों पर ही नजर टिका दी है। तीनों अधिकारियों को नोटिस देकर रात आठ बजे थाने बुलाया गया था। जहां बंद कमरे में तीनों से अलग-अलग समय में 50-50 सवालों की प्रश्नावली बनाकर पूछताछ की गई। इससे पहले एसआइटी टीम सोमवार को भी जीसीएफ में दस्तावेजों को खंगालने पहुंची थी।
17 दिन अवकाश पर था प्रसन्ना
सूत्रों की मानें तो इस प्रकरण में संदेह के घेरे में आए इंजीनियरिंग विभाग में वक्र्स मैनेजर प्रशांत प्रसन्ना को नोटिस देकर बुलाया था। प्रसन्ना खटुआ के गायब होने के अगले दिन से पत्नी की बीमारी का कारण बताकर अवकाश पर था। वह शव मिलने के पहले ही ड्यूटी पर वापस भी आ गया था। लेकिन, खटुआ के साथ वह इंजीनियरिंग और निविदा सेक्शन में रह चुका है। इसके अलावा एचआरडी विभाग में पदस्थ सुशांत चटर्जी और खटुआ के पड़ोसी रीतेश दीवान को नोटिस देकर बुलाया था।
चार घंटे तक अलग-अलग पूछताछ
एसआइटी की टीम ने तीनों अधिकारियों से चार घंटे तक अलग-अलग तरीके से पूछताछ की। तीनों के बयान दर्ज किए गए। इस दौरान उनके बयानों की वीडियोग्राफी भी करायी गई। पुलिस पूछताछ में तीनों कई सवालों पर जहां अटके, वहीं कुछ का वे जवाब भी नहीं दे पाए। हालांकि, तीनों के बयान में कोई अहम क्लू पुलिस नहीं खोज पाई।
अंधी हत्या में पुलिस बुरी तरह उलझी
जीसएफ अधिकारी खटुआ के अंधे कत्ल की गुत्थी में पुलिस बुरी तरह से उलझ चुकी है। आलम ये है कि पुलिस शव मिलने के बाद से अब तक घटनास्थल पर कई बार सर्चिंग करने जा चुकी है। हर सर्चिंग में कुछ न कुछ टीम के हाथ लगा। ऐसे में माना जा रहा है कि पुलिस ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण करने में फेल साबित हुई।
एमइएस विभाग के अधिकारियों से भी होगी पूछताछ
वहीं एसआइटी अब एमइएस विभाग के उन अधिकारियों से भी पूछताछ करने की तैयारी में है, जो दो फरवरी को ठेका पम्प ऑपरेटर की सूचना पर घटनास्थल पर खटुआ की मोपेड देखने पहुंचे थे। लेकिन, पुलिस को इसकी सूचना नहीं दी गई। पुलिस इस बात की तस्दीक करने में जुटी है कि कहीं ये जानबूझ कर किया गया था कि खटुआ का शव डिकम्पोज हो जाए। या फिर पुलिस के पचड़े से बचने के लिए किया गया था।
ये है घटना
17 जनवरी को मोपेड से निकले जीसीएफ के जूनियर वक्र्स मैनेजर की 19 दिन बाद पाटबाबा की पहाड़ी के पीछे पत्थरों के खोह में हत्या कर फेंकी गई लाश मिली थी। खटुआ धनुष तोप बेयरिंग सहित दूसरे हुए घोटाले में सीबीआइ के रडार पर थे, इस कारण उनकी हत्या की गुत्थी सुलझाना पुलिस के लिए भी एक चुनौती बनती जा रही है।

 

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