पितृ मोक्ष अमावस्या पर 38 साल बाद सूर्य संक्रांति का संयोग
जबलपुरPublished: Sep 16, 2020 10:16:24 pm
– नर्मदा तट व घरों में होगा ज्ञात-अज्ञात पुरखों का तर्पण, श्राद्ध
Incident of Surya Sankranti after 38 years on Pitru Moksha Amavasya
जबलपुर। पितृ मोक्ष अमावस्या गुरुवार को है। इसे आश्विन अमावस्या, बड़मावस और दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। इस बार पितृ मोक्ष अमावस्या पर सूर्य संक्रांति होने सेबहुत ही शुभ संयोग बन रहा है। इससे पहले ये संयोग 1982 में बना था और अब 19 साल बाद फिर बनेगा। पितृ मोक्ष अमावस्या पर नर्मदा के घाटों व घरों में पितरों के तर्पण व श्राद्ध किए जाएंगे।
इस तिथि पर उन मृत लोगों के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण कर्म किए जाते हैं, जिनकी मृत्यु तिथि मालूम नहीं है।
भूल चूक होगी ठीक-
विद्वानों के अनुसार पितृ पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहा जाता है। इस तिथि पर उन मृत लोगों के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण कर्म किए जाते हैं, जिनकी मृत्यु तिथि मालूम नहीं है। साथ ही, इस बार अगर किसी मृत सदस्य का श्राद्ध करना भूल गए हैं तो उनके लिए अमावस्या पर श्राद्ध कर्म किए जा सकते हैं।
आज लौटेंगे पितर–
अमावस्या पर सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों के पिंडदान के शुभ कर्म करना चाहिए। मान्यता है कि पितृ पक्ष में सभी पितर देवता धरती पर अपने-अपने कुल के घरों में आते हैं और धूप-ध्यान, तर्पण आदि ग्रहण करते हैं। अमावस्या पर सभी पितर अपने पितृलोक लौट जाते हैं। सर्व पितृ अमावस्या पर सभी पितरों के लिए श्राद्ध और दान किया जाता है। इससे पितृ पूरी तरह संतुष्ट हो जाते हैं। वायु रुप में धरती पर आए पितरों को इसी दिन विदाई दी जाती है और पितृ अपने लोक चले जाते हैं।
ये शुभ कर्म भी जरूर करें-
मान्यतानुसार पितृ पक्ष की अमावस्या पर जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करना चाहिए। आप चाहें तो वस्त्रों का दान भी कर सकते हैं। किसी मंदिर में, किसी गौशाला में भी दान करना चाहिए।
अमावस्या की शाम सूर्यास्त के बाद घर में मंदिर में और तुलसी के पास दीपक जलाएं। मुख्य द्वार पर और घर की छत पर भी दीपक जलाना चाहिए। अमावस्या तिथि पर चंद्र दिखाई नहीं देता है। इस वजह से रात में अंधकार और नकारात्मकता बढ़ जाती है। दीपों की रोशनी से घर के आसपास सकारात्मक वातावरण बनता है। इसीलिए अमावस्या की रात दीपक जलाने