अस्थिकलश को बड़े भाई सुमंत ने अपने हाथों में जैसे ही रखा मां कौशल्या शहीद बेटे को इस रूप में देखकर फफक पड़ी। पिता सुकरू के साथ भाई अनिल, अवधेश की आंखों से भी आंसू निकल पड़े। चाचा अर्जुन, बुआ कलेशा और मामा संतराम ने पुष्प अर्पित कर शहीद अश्विनी को नमन किया। बचपन के साथी रविकांत, कल्याण सिंह, अनंतराम और राजेश, अंकित ने भारी मन से साथी को विदा किया। खुड़ावल गांव के लोग वीर सपूत को नमन कर उसकी वीरता पर गर्व कर रहे थे। शहीद अश्विनी के शिक्षक जगदेश पटेल, खडक़ सिंह के साथ गांव के पूर्व सरपंच गजेंद्र खम्परिया, समाजसेवी विनय असाटी के साथ बड़ी संख्या में ग्रामवासियों ने शहीद को अंतिम विदाई दी।
अस्थिकलश के सिहोरा पहुंचने पर शहीद अश्विनी काछी अमर रहे…, जब तक सूरज चांद रहेगा अश्विनी तेरा नाम रहेगा की गूंज पुराना बस स्टैंड में होने लगी। पुराना बस स्टैंड में आशीष सरदार, संदेश विश्वकर्मा, आयुष दुआ, विक्की गुप्ता, अखिल गुप्ता के साथ बड़ी संख्या में युवाओं ने अस्थि कलश पर पुष्पापंलि अर्पित कर शहीद को अंतिम विदाई दी।