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सूत्रों ने बताया कि अभी आधी मशीनों पर काम किया गया है, शेष के लिए रूस का एक और दल खमरिया पहुंचेगा। जब मशीनें पूरी तरह इंस्टाल हो जाएंगी तो मार्च के शुरुआत या अंत से सीकेडी प्रारूप में बम का उत्पादन शुरू हो जाएगा। फैक्ट्री प्रबंधन का प्रयास है कि इसी वित्तीय वर्ष से यह काम शुरू हो जाए।
सेना की बड़ी जरुरत
थलसेना के लिए यह बम काफी उपयोगी है। विदेशी सेनाओं के पास आधुनिक टैंक हैं, उन्हें भेदना कठिन होता है। मैंगो प्रोजेक्ट के तहत तैयार किए जा रहे बम इस काम में सक्षम हैं। सीकेडी प्रारूप के बाद स्वदेशी प्रारूप में उत्पादन शुरू होगा। इसमें देश में ही इस बम में उपयोग होने वाली सभी सामग्री का उत्पादन किया जाएगा।
मैंगो प्रोजेक्ट के तहत नई मशीनों की स्थापना एवं कमीशनिंग का काम प्रारंभ हो गया है। इस काम में रूस का दल सहयोग कर रहा है। काम पूरा होते ही उत्पादन शुरू किया जाएगा।
एके ठाकुर, अपर महाप्रबंधक ओएफके