जबलपुर

मध्यप्रदेश के इस शहर में टैंकभेदी बम के लिए लगी नई मशीनें

ओएफके का मैंगो प्रोजेक्ट : रूसी दल ने प्रारम्भ किया काम, दूसरी टीम जल्द आएगी

जबलपुरJan 29, 2019 / 01:53 am

abhishek dixit

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जबलपुर. रूसी दल ने मैंगो प्रोजेक्ट के तहत ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया (ओएफके) में 125 एमएम टैंकभेदी बम के उत्पादन के लिए नई मशीनों की स्थापना और कमीशनिंग का काम शुरू कर दिया है। मशीनें रूस से लायी गईं हैं। इनसे उत्पादन तेज हो जाएगा। इस साल कम्पलीट नॉक्ड डाउन (सीकेडी) प्रारूप में बम बनाया जाएगा। फैक्ट्री में जारी वित्तीय वर्ष में करीब 12 हजार बमों का उत्पादन किया। वहीं नए प्रारूप में टारगेट लगभग दोगुना होगा। ओएफके के लिए यह प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण है। भविष्य में इस बम का उत्पादन व्यापक पैमाने पर होना है। कीमती होने से फैक्ट्री के राजस्व में बड़ी भूमिका निभाएगा। सेक्शन में कम्प्यूटर आपरेटेड कुछ मशीनें लगाई गई हैं। रूस के दल ने इनमें साफ्टवेयर अपडेट किया है।

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सूत्रों ने बताया कि अभी आधी मशीनों पर काम किया गया है, शेष के लिए रूस का एक और दल खमरिया पहुंचेगा। जब मशीनें पूरी तरह इंस्टाल हो जाएंगी तो मार्च के शुरुआत या अंत से सीकेडी प्रारूप में बम का उत्पादन शुरू हो जाएगा। फैक्ट्री प्रबंधन का प्रयास है कि इसी वित्तीय वर्ष से यह काम शुरू हो जाए।

सेना की बड़ी जरुरत
थलसेना के लिए यह बम काफी उपयोगी है। विदेशी सेनाओं के पास आधुनिक टैंक हैं, उन्हें भेदना कठिन होता है। मैंगो प्रोजेक्ट के तहत तैयार किए जा रहे बम इस काम में सक्षम हैं। सीकेडी प्रारूप के बाद स्वदेशी प्रारूप में उत्पादन शुरू होगा। इसमें देश में ही इस बम में उपयोग होने वाली सभी सामग्री का उत्पादन किया जाएगा।

मैंगो प्रोजेक्ट के तहत नई मशीनों की स्थापना एवं कमीशनिंग का काम प्रारंभ हो गया है। इस काम में रूस का दल सहयोग कर रहा है। काम पूरा होते ही उत्पादन शुरू किया जाएगा।
एके ठाकुर, अपर महाप्रबंधक ओएफके

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