जबलपुर

बड़ी खबर: डॉक्टर 12 घंटे तक नहीं टटोलेंगे मरीजों की नब्ज, ये है वजह

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने जारी किया पत्र, काला दिवस घोषित, आकस्मिक सेवाएं रहेंगी अप्रभावित

जबलपुरJan 01, 2018 / 08:02 pm

deepankar roy

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जबलपुर। शहर सहित देशभर के डॉक्टर मंगलवार को मरीजों की नब्ज नहीं टटोलेंगे। सुबह 6 से शाम 6 बजे तक डॉक्टर्स अपनी प्रेक्टिस को विराम देकर विरोध प्रकट करेंगे। चिकित्सकों का यह विरोध उस मेडिकल कमीशन बिल को लेकर जिसे संसद में प्रस्तुत किया जा रहा है। इस बिल के विरोध में देशभर के डॉक्टर अब एकजुट हो गए है। इसे लेकर चिकित्सकों की प्रतिनिधि संस्था इंडियन मेडिकल काउंसिल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सोमवार को आपस में विचार-विमर्श किया। उसके बाद मंगलवार को 12 घंटे तक चिकित्सकीय कार्य ठप रखने का निर्णय किया है। आईएमए द्वारा अचानक किए गए इस निर्णय से मरीजों को एक दिन परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

आईएमए ने कहा- काला दिवस
आईएमए द्वारा जारी पत्र के अनुसार एसोसिएशन के आव्हान पर 02 जनवरी, 2018 को पूरे देश में आईएमए की समस्त शाखाओं द्वारा विरोध दर्ज कराया जाएगा। नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में प्रात: 6 से शाम 6 बजे तक चिकित्सीय कार्य बंद रहेगा। इस विरोध प्रदर्शन में आकस्मिक चिकित्सा सेवाओं को शामिल नहीं किया गया है। आईएमए ने मंगलवार को प्रस्तावित नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में काला दिवस मनाने की घोषणा की है। आईएमए की देशभर में करीब 30 राज्य शाखा एवं 1735 स्थानीय शाखाएं है। इन सभी के बिल के विरोध में होने का दावा किया गया है।

इधर, विरोध के लिए होगी बैठक
आईएमए के मंगलवार को काला दिवस की घोषणा के बीच लोकल एसोसिएशन ने राइट टाउन स्थित परिसर में साधारण सभा बुलाई है। दोपहर 12 बजे से आईएमए लोकल बॉडी की साधारण सभा की बैठक होगी। बैठक में नेशनल मेडिकल कमीशन बिल और उसके स्वरुप को लेकर विचार-विमर्श होगा। इसे मौजूद स्वरुप में लोकसभा में प्रस्तुत किए जाने का विरोध किया जाएगा।

जरुरत पड़ी तो उग्र विरोध भी होगा
आईएमए के प्रदेश सचिव डॉ. पुष्पराज भटेले, अध्यक्ष डॉ अजय सेठ, सचिव डॉ दीपक साहू, प्रान्तीय कोषाध्यक्ष डॉ सुनील बहल, सह सचिव डॉ रुचिर खरे के अनुसार मेडिकल बिल का वर्तमान स्वरुप जनविरोधी है। ये प्राइवेट मैनेजमेंट को बढ़ावा देता प्रतीत होता है। ऐसा होने पर चिकित्सा सुविधा और शिक्षा गरीब तबके से दूर होगी। इन डॉक्टर्स का कहना है कि केंद्र सरकार ने यदि अपना फैसला नहीं बदला और जरुरत पड़ी तो बिल के खिलाफ उग्र विरोध किया जाएगा।

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