सूत्रों के अनुसार जबलपुर मंडल समेत देशभर के तकरीबन ढाई लाख हंगर स्ट्राइक करेंगे। इसमें लोको पायलट, असिस्टेंट लोको पायलट से लेकर शंटर तक शामिल होंगे। 17 जुलाई की सुबह 9 बजे से 19 जुलाई की सुबह 9 बजे तक बिना खाए-पीए ट्रेन चलाकर ये हड़ताल रखी जाएगी। ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टॉफ एसोसिएशन के पदाधिकारियों के अनुसार देशभर के लोको पायलट भूख हड़ताल पर रहेंगे और ड्यूटी खत्म होने के बाद डीआरएम कार्यालय या लॉबी में रुकेंगे। रेस्ट खत्म होते ही यहीं से ड्यूटी पर रवाना हो जाएंगे। जानकारी के अनुसार ट्रेन डाइवर का कहना है कि उनका माइलेज, ट्रैवल एलाउंस की तरह रिवाइज होकर हर साल बढ़े। रेलवे के सूत्र बताते हैं कि जल्द ही रेलवे माइलेज को ढाई रुपए से बढ़ाकर 5 रुपए करने जा रहा है, जिसका फायदा ड्राइवर को मिलेगा।
भूख हड़ताल को देखते हुए मंडल रेल प्रशासन हरकत में आ गया है। रनिंग स्टाफ की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। आंदोलन की तैयारियों पर नजर रखी जा रही है। इधर, ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के स्थानीय पदाधिकारी 17 से 19 जुलाई तक 48 घंटे भूखे रहकर टे्रनें चलाने के अपने आंदोलन को सफल बनाने की कवायद में जुटे हैं।
हो सकती है दुर्घटना
इधर भूखे रहकर ट्रेन चलाने से हादसे होने की आशंका बढ़ गई है। जबलपुर रेलवे हॉस्पिटल की डॉ. क्षितिज भटनागर बताती हैं कि लगातार 48 घंटे तक भूखे रहकर ट्रेन चलाना संभव नहीं है। दो दिनों तक भूखा रहने से शरीर में शुगर और नमक की कमी होने लगती है। सबसे बुरी बात तो यह है कि शुगर और नमक की कमी होने से कमजोरी आ जाती है जिससे चक्कर आने और बेहोश होने की आशंका बढ़ जाती है। यदि कोई यात्री ट्रेन का ड्रायवर एकाएक बेहोश हो जाए तो क्या हाल होंगे यह विचार ही कंपा देता है।