उत्सव सा माहौल
बिटिया@work अभियान के तहत गुरुवार को पत्रिका कार्यालय में खासी चहल-पहल रही। पापा की कुर्सी पर बेटियों की किलकारियां गूंजती रहीं। बेटियों ने न केवल पापा की वर्किंग देखी बल्कि नन्ही तूलिका से रंग-बिरंगे चित्र भी बनाए। राधिका गर्ग व उनकी छोटी बहन अनिका ने कहा कि पापा का काम देखकर बहुत अच्छा लगा। अदिता सिंह, जान्हवी त्रिपाठी व पलक ने ग्लोबल वार्मिंग पर चित्र बनाए। पल्लवी और पलक ने कहा कि पेड़ों की कटाई की वजह से धरती का तापमान बढ़ रहा है। इससे बचने के लिए अधिक से अधिक पौधे लगाने चाहिए। वंशिका और अवनि ने भी शानदार ड़ाइंग की। सभी ने हाथ उठाकर एक साथ कहा कि पापा का ऑफिस बहुत अच्छा है। यहां आकर बहुत अच्छा लगा।
बेहद सार्थक प्रयास
बिटिया को ऑफिर लेकर पहुंचे एडवोकेट शिशिर गुप्ता कहते हैं कि वर्तमान समय में जिस तरह बालिकाओं से संबंधित अपराध बढ़ रहे हैं, ऐसे में बेटियों को जिम्मेदारी के लिए करना बेहद जरूरी है। पत्रिका का प्रयास वाकई सराहनीय है। पापा के साथ दफ्तर आने से न केवल बेटियों को प्रोत्साहन मिल रहा है बल्कि उनका हौसला भी बढ़ रहा है। मैंने बेटियों को कानून से जुड़ी जानकारियां दीं ताकि वे कानून और समाज के प्रति जिम्मेदारी का अहसास करें। हर अच्छे-बुरे पहलू के लिए संवेदनशील बनें। रविन्द्र कुमार शर्मा स्कूल टीचर है। उन्होंने कहा कि पत्रिका के अभियान से जुड़कर पिछली बार भी मैं बेटी को अपने साथ स्कूल ले गया था। उसने मेरी वर्किंग देखी। मैं इस बात का साक्षी हूं कि उस दिन के बाद मेरी बेटी में काफी जेंजेस आए हैं। वह न केवल समझदारी और जिम्मेदारी वाली बातें करने लगी है, बल्कि उसने तो मेरी तरह टीचर बनकर समाज को शिक्षित करने का संकल्प भी ले लिया है।
पापा की तरह काम
अनिल गुप्ता शहर के जाने-माने सीए हैं। वे अंडर कई यंग सीए को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। वे अपनी बेटी में भी ख्यातिलब्ध सीए की छवि देखते हैं। उन्होंने बेटी को सीए की विधा का हर गुर सिखाया है। बेटी न केवल उनका हाथ बंटा रही है, बल्कि पापा से प्रोत्साहित होकर उन्होंने सीए भी कम्पलीट कर लिया है। गुप्ता को बेटी पर नाज है। वहीं वे पत्रिका की पहल को भी सराहनीय निरूपित करते हैं। उन्होंने कहा कि बेटियां अधिक संवेदनशील होती हैं, यदि उन्हें अवसर दिया जाए तो वे मुकाम हासिल करके दिखाती हैं। पत्रिका का संदेश भी लगभग यही है कि बेटियों को हौसला और मान मिले ताकि वे उंचाइयों को छू सकें।