जबलपुर प्रदेश के पुराने शहरों में शामिल है। इसलिए यहां कई बड़े संस्थान खोले गए थे। प्रदेश के मध्य में स्थित होने के कारण भी इसका महत्व अधिक है। लेकिन, अब भोपाल और इंदौर को ज्यादा तवज्जो दिया जा रहा है। जबकि यहां मंत्री और सांसद सहित बड़ी पहुंच रखने वाले लोग रहते हैं। आलम यह है कि शहर के विकास के लिए सौगातें सीमित संख्या में मिलती हैं, वहीं पुरानी सौगातों को भी छीना जा रहा है।
पीडब्ल्यूडी सम्भाग-2
प्रदेश शासन ने पीडब्ल्यूडी के सम्भाग क्रमांक दो के सभी 17 पदों को नए जिले निवाड़ी में ट्रांसफर कर दिया है। मुख्य कार्यपालन यंत्री सहित क्लेरिकल स्टाफ, ड्राफ्टमैन और भृत्य तक के पद चले गए। इसके पीछे तर्क दिया गया कि यहां काम कम और पद ज्यादा हैं। यहां पहले से सम्भाग क्रमांक- एक है। उसमें भी इतने ही पद हैं। नया जिला बनता है तो वहां कार्यपालन यंत्री का पद स्थापित किया जाता है। अब सम्भाग-2 का काम सम्भाग-1 करेगा।
आंगनबाड़ी प्रशिक्षण संस्थान
जबलपुर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रशिक्षण संस्थान क्रमांक-2 को खरगौन शिफ्ट कर दिया गया है। यह संस्थान जबलपुर में 80 के दशक से चल रहा था। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास स्थित इस संस्थान में हर साल एक हजार से ज्यादा कार्यकर्ता-सहायिकाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रदेश शासन ने इसे खरगौन ट्रांसफर कर दिया है।
कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल
कम्पनी मंत्रालय ने कम्पनी मामलों के निराकरण के लिए वर्ष 2013 में देश के प्रमुख शहरों दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, इलाहाबाद, अहमदाबाद और बेंगलूरु में कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल और अपीलीय ट्रिब्यूनल की स्थापना की। मप्र के कम्पनी सम्बंधी मामलों की सुनवाई इलाहाबाद कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल के क्षेत्राधिकार में आती है। मप्र हाईकोर्ट ने 2015 में केंद्र सरकार को प्रतिवेदन भेजकर ट्रिब्यूनल व अपीलीय ट्रिब्यूनल की स्थापना जबलपुर में करने की मांग की थी। इसके बावजूद यहां स्थापना नहीं की गई। हाल ही में इसे इंदौर में खोलने का आदेश दिया गया है।
भोपाल गया नारी निकेतन
महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत ही नारी निकेतन का संचालन मदन महल के पास आमनपुर क्षेत्र में किया जाता रहा है। करीब आठ साल पहले इसे प्रदेश की राजधानी भोपाल ले जाया गया। यहां निराश्रित महिलाओं के स्वावलंबन के लिए अलग-अलग विधाओं का प्रशिक्षण दिया जाता था।
डिफेंस क्लस्टर, फुटबॉल स्टेडियम
शहर में डिफेंस क्लस्टर की मांग लम्बे समय से की जा रही है। यहां कई सुरक्षा संस्थान होने के कारण इसकी उपयोगिता भी थी, लेकिन इसे दरकिनार कर दिया गया। इसकी जगह क्लस्टर के लिए इंदौर को चुना गया। इसी तरह जबलपुर में अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल स्टेडियम बनाने की बात कही गई थी, अब उसे छिंदवाड़ा शिफ्ट कर दिया गया है। इससे शहर के खिलाडिय़ों में निराशा व्याप्त है।