हाईकोर्ट का बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर निर्देश
जबलपुर•Aug 28, 2019 / 12:36 am•
prashant gadgil
हाईकोर्ट ऑर्डर
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने एक अहम व्यवस्था देते हुए कहा कि नाबालिग किशोरी अपने माता-पिता के साथ नहीं जाना चाहती तो उसे बालिग होने तक चाइल्ड केयर होम में रखा जाए। बालिग होने के बाद वह अपनी इच्छानुसार किसी के भी साथ जाने या रहने के लिए स्वतंत्र होगी। इस मत के साथ जस्टिस अतुल श्रीधरन की सिंगल बेंच ने किशोरी की मां की ओर से दायर की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का पटाक्षेप कर दिया।
यह है मामला
छतरपुर जिले के महाराजपुर, खजुराहो थाना क्षेत्र की रहने वाली महिला ने यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कहा कि उसकी 17 वर्षीय पुत्री 31 मई 2019 से लापता है। उसे आशंका है कि इलाके का ही मूरज पाल उसकी बेटी को अगवा कर ले गया। इसकी पुलिस में शिकायत की गई। लेकिन अब तक उसकी पुत्री को खोजने के संबंध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अधिवक्ता आरएस यादव ने तर्क दिया कि पुलिस आरोपियों से मिलीभगत के चलते लापता की तलाश नहीं कर रही है। कोर्ट के निर्देश पर महाराजपुर, खजुराहो पुलिस ने लापता किशोरी को कोर्ट में पेश किया। पुलिस की ओर से बताया गया कि आरोपी मूरज पाल के साथ किशोरी रह रही थी। दोनों का दावा है कि आर्य समाज मंदिर से उन्होंने विवाह कर लिया। मेडिकल रिपोर्ट पेश कर बताया गया कि कि शोरी को चार महीने का गर्भ है। इस पर कोर्ट ने किशोरी से उसकी मंशा जाननी चाही। उसने कहा कि वह माता-पिता के साथ नहीं जाएगी। इस पर कोर्ट ने किशोरी को वयस्क होने तक छतरपुर चाइल्ड केयर होम में रखने का निर्देश दिया। शासकीय अधिवक्ता मधुर शुक्ला ने सरकार का पक्ष रखा।
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