बता दें कि सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा को अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था। मोखा पर एनएसए भी लगाया गया। नकली रेमडेसिविर मामले की जांच के दौरान ही जिला पुलिस व एसआईटी को पता चला कि इस पूरे प्रकरण में सरबजीत अकेले ही नहीं था बल्कि उसकी पत्नी जसमीत कौर मोखा और सिटी हॉस्पिटल की एडमिनिस्ट्रेट सोनिया खत्री, सरबजीत का बेटा और एक अन्य हॉस्पिटलकर्मी देवेश चौरसिया भी शामिल हैं। ऐसे में पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस मामले में पुलिस चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है। जसमीत मौखा पर नकली इंजेक्शन नष्ट करने और अस्पताल के स्टॉक रजिस्टर को जलाने का आरोप है। अस्पताल की एडमिनिस्ट्रेटर सोनिया खत्री पर भी साक्ष्य से छेड़छाड़ा करने और उसे मिटाने का आरोप है।
बता दें कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन केस का खुलासा सबसे पहले मार्च के अंतिम सप्ताह में गुजरात में हुआ। उसके कुछ ही दिनों बाद गुजात पुलिस जबलपुर पहुंची और यहां के ओमती थाना क्षेत्र से एक युवक को गिरफ्तार कर गुजरात ले गई। उसके बाद नकली इंजेक्शन मामले की तफ्तीश के लिए एसआईटी गठित की गई और जबलपुर में छानबीन तेज हुई। बताया गया कि गुजरात से करीब 500 वॉयल इंजेक्शन जबलपुर के सिटी हॉस्पिटल आया था। इसमें से 465 इंजेक्शन्स का इस्तेमाल सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा ने किया। सरबजीत को इसी मामले में गिरफ्ता किया गया। जांच आगे बढ़ने पर पता चला कि सरबजीत की पत्नी जसमीत ने 35 इंजेक्शन वॉयल तोड़ कर नाले में बहा दिए थे। हालांकि मोखा के घर की तलाशी के दौरान कुछ शीशियों को टुकड़े भी बरामद हुए थे। उसके बाद ही जसमीत को भी गिरफ्तार कर लिया गया था।
पुलिस ने बताया था कि सिटी हॉस्पिटल को मिले 465 इंजेक्शन्स में से 209 नकली इंजेक्शन 171 मरीजों को लगाए गए थे, जबकि बाकी बचे इंजेक्शन्स आनन फानन में अलग-अलग तरीके से नष्ट कर दिए गए थे।