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International nurse day : हर हालात में सम्भालती हैं मरीजों की जान बचाने का मोर्चा

locationजबलपुरPublished: May 12, 2019 07:48:01 pm

Submitted by:

abhishek dixit

इंटरनेशनल नर्स डे : गर्व है अपनी सेवा पर कि हम मरीजों की देखभाल करते हैं

International nurse day

International nurse day

जबलपुर. इनका जीवन मरीजों की सेवा में गुजर जाता है। सभी काम बाद में, लेकिन मरीजों की देखभाल इनके लिए सबसे पहले है। इमरजेंसी की स्थिति में भले ही डॉक्टर्स का साथ न हो, इसके बाद भी मरीजों की स्थिति में सुधार करना इन्हें आता है। फिर चाहे वह आपातकाल में मरीजों को बेहोशी की हालत से उबारना हो या फिर किसी महिला की क्रिटिकल स्थिति में डिलीवरी करवानी हो। यही कारण है कि इन्हें अपनी इस सेवा पर गर्व महसूस होता है। इस इंटरनेशनल नर्स डे पर आइए सलाम करते हैं नर्सिंग के ऐसे ही प्रोफेशन को…

अब मिल रहे हैं मौके
शहर में नर्सिंग के प्रति स्टूडेंट्स का रुझान बढ़ रहा है। सिर्फ मेल ही नहीं फीमेल्स भी नर्सिंग के क्षेत्र से जुड़ रहे हैं। सिर्फ गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स ही नहीं, बल्कि अब प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग कॉलेजों में भी ट्रेनीज को स्टडी के बाद अपॉइंट किया जा रहा है। यही वजह है कि नर्सिंग को बतौर प्रोफेशन अब कई लोग चुन रहे हैं।

इसलिए मनाते हैं दिवस
सन् 1965 से फ्लोरेंस नाइटएंगल की स्मृति में इस दिवस को मनाया जाता है। मरीजों की देखभाल करने वाले नाइटएंगल से पूरा जीवन मरीजों की देखभाल में समर्पित किया था। इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 12 मई को विश्वभर में यह दिवस मनाया जाता है।

उस पल अपने कॅरियर पर गर्व महसूस हुआ
मेडिकल गवर्नमेंट नर्सिंग कॉलेज की प्रिंसिपल अर्चना पीटर बताती हैं कि 27 वर्षों की कुल सर्विस में उन्होंने 12 साल स्टाफ नर्स और मेजर ऑपरेशन थिएटर में रहीं हैं। उन्होंने बताया कि एक बार बहुत की सीरियस केस मरीज वॉर्ड में आया, जिसकी स्थिति देखकर यह लग रहा था कि इसका जीवन बस इतना ही है। उस वक्त कोई डॉक्टर भी नहीं था। ऐसे में तुरंत डॉक्टर को बुलाकर लाई और ट्रीटमेंट शुरू किया। काफी मशक्कत के बाद उसे बेहोशी से सामान्य हालत में लाया गया। उस पल अपने कॅरियर पर गर्व हुआ।

बहुत मुश्किल होता है मां और बच्चे को बचाना
प्रतिभा सिंह ठाकुर, टीचिंग फैकल्टी, मेडिकल नर्सिंग कॉलेज बताती हैं कि वार्ड में 15 वर्ष गुजारे हैं, जहां कई ऐसे केस देखे जो किसी को भी झकझोर कर रख देते हैं। फिर चाहे वह ब्लड प्रेशर गड़बड़ होने की स्थिति में मां और बच्चे दोनों को बचाना हो या फिर मां और बच्चे में से एक को बचाना हो। स्थिति चाहे जो भी हो हर किसी में सोचना यही होता है कि बस किसी भी तरह अपना बेस्ट देना है। यही बात पिछले 4 सालों से टीचिंग फैकल्टी से जुडऩे के बाद अब भावी नर्सेज को भी सीखा रही हैं।

हेड इन्जरी के मरीज की तत्काल बचायी जान
मेडिकल गवर्नमेंट नर्सिंग कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल स्टेला पीटर ने बताया कि 23 वर्ष से उन्होंने अपना जीवन मरीजों की सेवा में समर्पित कर दिया है। इसमें लम्बा अनुभव ऑपरेशन थिएटर का रहा है। वे बताती हैं कि एक बार नाइट शिफ्ट की ड्यूटी में थीं और मेडिकल में हैड इंजरी के केस से जुड़ा एक मरीज मरने की स्थिति में आया था। ऐसे में तुरंत एक्टिव होकर मरीज को टे्रकियोस्टोमी वार्ड में भर्ती किया। इसके बाद डॉक्टर्स को इत्तला किया। ऑपरेशन में मदद की और मरीज की सांस लेने में सुधार हुआ।

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