scriptजेंडर निजी मामला, लेकिन वैवाहिक विवाद में कराई जा सकती है जांच | Investigation can be conducted in marital dispute | Patrika News

जेंडर निजी मामला, लेकिन वैवाहिक विवाद में कराई जा सकती है जांच

locationजबलपुरPublished: Oct 17, 2019 08:19:55 pm

Submitted by:

prashant gadgil

हाईकोर्ट ने नजीर फैसले में कहा…

High Court

हाईकोर्ट

जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि जेंडर पूर्णत: निजी मामला है, लेकिन वैवाहिक विवाद में दूसरे पक्ष का हित भी शामिल हो जाता है। एेसी दशा में अदालत उस पक्ष की मेडिकल जांच का आदेश दे सकती है, जिसके बारे में सवाल उठाए गए हैं। इस सम्बंध में निजता के उल्लंघन का आग्रह अर्थहीन है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की सिंगल बेंच ने इस मत के साथ कुटुंब न्यायालय द्वारा दिए गए पत्नी की जांच के आदेश को उचित ठहराया। जबलपुर निवासी युवती ने याचिका दायर कर कुटंब न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। कुटुंब न्यायालय ने उसके जेंडर की जांच किसी महिला डॉक्टर से कराने का आदेश दिया था। दरअसल याचिकाकर्ता ने ख़ुद आवेदन दायर कर कुटुंब न्यायालय से अपने वैवाहिक अधिकारों को दिलाए जाने की मांग की। पति ने सीपीसी की धारा 151 के तहत आवेदन दायर कर आग्रह किया कि उसकी पत्नी की जांच कराई जाए।

निजता के अधिकार का हवाला
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उसकी शादी को आठ वर्ष हो गए। कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे स्त्रीत्व की मेडिकल जांच के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे संविधान के तहत मिले अधिकारों का हनन होगा। तर्क को कोर्ट ने ठुकरा दिया।

स्वस्थ व शांतिपूर्ण जीवन के लिए जरूरी
कोर्ट ने कहा,’अदालत इस तथ्य से वाकिफ है कि किसी का जेंडर निजी मामला है। लेकिन, जब मामला शादी का हो, दूसरे पार्टनर का हित भी जुड़ जाता है। यह स्वस्थ और शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन के लिए जरूरी है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो