निजता के अधिकार का हवाला
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उसकी शादी को आठ वर्ष हो गए। कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे स्त्रीत्व की मेडिकल जांच के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे संविधान के तहत मिले अधिकारों का हनन होगा। तर्क को कोर्ट ने ठुकरा दिया।
स्वस्थ व शांतिपूर्ण जीवन के लिए जरूरी
कोर्ट ने कहा,’अदालत इस तथ्य से वाकिफ है कि किसी का जेंडर निजी मामला है। लेकिन, जब मामला शादी का हो, दूसरे पार्टनर का हित भी जुड़ जाता है। यह स्वस्थ और शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन के लिए जरूरी है।