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निराशा जनक स्थिति; जबलपुर अंचल में निवेश का सूखा, घोषित औद्योगिक क्षेत्र में होने लगी खेती!

locationजबलपुरPublished: Nov 24, 2021 08:29:52 pm

– औद्योगिक क्षेत्रों ने तोड़ा दम, वादा था मिलेगा भरपूर रोजगार, शुरू होने से पहले ही हुए हुए उजाड़- राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव, स्थानीय नेता नहीं लेते निवेशकों को हाथोंहाथआरोप ये भी हैं-उद्योग स्थापना के लिए कौडिय़ों के दाम जमीन ली गई-विस्थापित परिवार के एक सदस्य को काम देने का करार अधूरा-स्थानीय लोगों को नहीं दिया गया रोजगार-ठगा महसूस कर रहे हैं किसान

industrial area

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जबलपुर. प्रदेश में कोरोना की मार झेल रहे उद्योगों को संजीवनी देने और नए औद्योगिक क्षेत्र चिन्हित कर निवेश बढ़ाने की कवायद शुरू की गई है। लेकिन, जबलपुर अंचल में औद्योगिक विकास की आशाओं को ऐसा झटका लगा है कि सरकारी दावों पर अब आसानी से यकीन करना मुश्किल हो गया। पूर्व में आयोजित इन्वेस्टर मीट के लम्बे-चौड़े दावे हवा-हवाई हो गए। पहले से घोषित हजारों एकड़ में दर्जनभर से अधिक औद्योगिक क्षेत्र लगभग दम तोड़ चुके हैं। निवेश के सूखे के चलते आधे-अधूरे विकसित क्षेत्र उजाड़ हो गए हैं। इक्का-दुक्का उद्योग ही स्थापित हो पाए। बाकी लावारिस जमीन पर कब्जे होने के साथ कुछ जगह तो खेती भी होने लगी। जबलपुर से स्पेशल इकोनॉमिक जोन का दर्जा तक छिन गया। दरअसल उद्योगों की स्थापना में राजनीतिक इच्छाशक्ति का भी नितांत अभाव नजर आता है। मालवा और भोपाल क्षेत्र में वहां के स्थानीय नेता उद्योगपतियों को निवेश के लिए हाथोंहाथ लेते हैं। राजनीतिक शून्यता और निराशाजनक हालात के चलते अंचल में औद्योगिक विकास के साथ रोजगार की उम्मीदें भी धूमिल हो गईं।
जबलपुर जिले में एक दशक पहले 3188 एकड़ में पांच औद्योगिक क्षेत्रों की घोषणा हुई थी। जबलपुर-मंडला जिले की सीमा पर 1276 एकड़ में सबसे बड़ा क्षेत्र चुना गया। सिहोरा के पास हरगढ़, चरगवां रोड पर उमरिया-डुंगरिया, रिछाई और अधारताल में भी सौ से सात सौ एकड़ तक के औद्योगिक क्षेत्र चिन्हित किए गए। इसके लिए जमीन का अधिग्रहण किया गया। 14 साल बाद हरगढ़ सिर्फ नाम का औद्योगिक क्षेत्र बचा है। वहां स्थापित इकाइयों में कुछ ही चालू हालत में हैं। हर तरफ खस्ताहाल सडक़े, दम तोड़ती इंडस्ट्री और खंडहर होती औद्योगिक विकास निगम की बिल्डिंग और दफ्तर के अलावा ज्यादा कुछ नहीं बचा। कुरेदने पर मनेरी क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों का दर्द छलका। उनका कहना है कि उद्योग स्थापना के लिए कौडिय़ों के दाम उनकी जमीन ली गई। विस्थापित परिवार के एक सदस्य को काम देने का करार किया गया था। उद्योग नहीं आने से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। स्थानीय लोगों को रोजगार भी नहीं दिया गया। ग्राम खैरानी निवासी रंगीलाल मरावी और मेढ़ी निवासी रघुनाथ दुबे का कहना है कि उन्हें उनकी जमीन का उचित मुआवजा आज तक नहीं मिला। ऐसे में वे अपने को छला महसूस करते हैं। मेढ़ी के लखन वंशकार की भी यही पीड़ा है। सब ओर से निराश होकर पीडि़तों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
उधर, कटनी के लमतरा, अमकुही औद्योगिक क्षेत्र और स्लीमनाबाद स्थित स्टोन पार्क में उद्योग स्थापना का जिम्मा इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट कार्पोरेशन जबलपुर के पास है। तीनों ही स्थानों पर उद्योगों की संख्या नगण्य है। लोगों को रोजगार के अवसर नहीं मिल पाए। वहीं, नरसिंहपुर में रिपटा पार औद्योगिक क्षेत्र घोषित किया गया था। वह भी विकसित नहीं किया गया।
छिन गया अहम दर्जा
जबलपुर में स्पेशल इकनोमिक जोन स्थापना के लिए सिहोरा के हरगढ़ में 255 एकड़ जमीन चिन्हित की गई। लगभग इतनी भूमि उमरिया-डुंगरिया में चिन्हित की गई। जिम्मेदारों की इच्छाशक्ति के अभाव में हरगढ़ में खनिज आधारित और उमरिया-डुंगरिया में कृषि आधारित उद्योग लगाने की योजना ने दम तोड़ दिया। दोनों क्षेत्रों में कोई उद्योग शुरू नहीं हो सका। इसलिए केंद्र सरकार ने स्पेशल इकोनॉमिक जोन का 2016 में दर्जा ही छीन लिया। हालांकि, उमरिया-डुंगरिया में कुछ हिस्से को औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। लेकिन, हरगढ़ में जमीन का कुछ भी उपयोग शुरू नहीं हो सका। इधर, जबलपुर-भोपाल राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए लगभग 687 एकड़ जमीन का अधिग्रहण जबलपुर जिले के अंतर्गत किया गया है। इससे जरूर कुछ उम्मीद बंधी है। इसके लिए शासन स्तर पर ठोस पहल जरूरी है।
यह है स्थिति
– जबलपुर-मंडला जिले की सीमा पर मनेरी औद्योगिक क्षेत्र-1276 एकड़
– हरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र- 750 एकड़
– उमरिया-डुंगरिया औद्योगिक क्षेत्र- 640 एकड़
– रिछाई औद्योगिक क्षेत्र- 460 एकड़
– अधारताल औद्योगिक क्षेत्र-102 एकड़
कोरोना के कारण औद्योगिकीकरण प्रभावित हुआ है लेकिन अब सुधार हो रहा है। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए औद्योगिक भूमि के साथ उपलब्ध अन्य संसाधनों की जानकारी हर मंच पर देने का प्रयास किया जाता है। जबलपुर संभाग में कई इंडस्ट्री ऐसी हैं जो कि जल्द काम करना प्रारंभ कर देंगी।
– सीएस धुर्वे, कार्यकारी संचालक, एमपीआइडीसी, जबलपुर
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