जानकारी के मुताबिक समर्थन मूल्य पर धान की सरकारी खरीदी के लिए पंजीयन का काम 16 सितम्बर से शासन ने निर्धारित किया था, लेकिन ई उपार्जन साइट से समितियों के गायब होने और ऑपरेटर्स को आईडी और पासवर्ड मिलने में देरी के कारण पंजीयन का काम सिहोरा और मझौली में सितम्बर के आखिरी सप्ताह से शुरू हो सका है। पंजीयन केंद्रों में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पहुंचे किसान उस समय हतप्रभ रह गए, जब उन्हें पता चला कि उनकी सिंचित भूमि को गिरदावरी त्रुटि के दौरान असिंचित कर दिया गया है। जिसको लेकर किसानों में भारी निराशा देखी जा रही है।
ऐसे समझें सिंचित और असिंचित का गणित
शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी के दौरान सिंचित भूमि पर प्रति एकड़ 20 क्विंटल खरीदी का नियम है, जबकि असिंचित भूमि पर 12 क्विंटल प्रति एकड़ का रजिस्ट्रेशन होता है। गिरदावरी त्रुटि के कारण अधिकतर हल्कों को सिंचित की जगह असिंचित दर्शा दिया गया है। एक अनुमान के मुताबिक इस वर्ष सिहोरा और मझौली तहसील में 38 हजार हेक्टेयर में धान बोई गई है। सिंचित और असिंचित की कश्मकश के बीच अभी तक सिर्फ 1852 किसानों के पंजीयन धान के लिए हो सके हैं।
समितियों में पंजीयन की स्थिति
समिति-पंजीयन
सेवा सहकारी सिहोरा-88
सेवा सहकारी फनवानी-308
सेवा सहकारी सेलवारा-249
सेवा सहकारी नुंजी-99
सेवा सहकारी गांधीग्राम-42
सेवा सहकारी बेला-42
सहकारी विपणन संस्था
मर्यादित सिहोरा (सिहोरा मंडी)-20
सहकारी विपणन संस्था सिहोरा-448
सेवा सहकारी घाट सिमरिया-125
सेवा सहकारी खाड़-136
सेवा सहकारी बरगी-16
सेवा सहकारी पोला-22
सेवा सहकारी लखनपुर-26
सेवा सहकारी सहजपुरा-128
सेवा सहकारी हरसिंघी-103
योग-1853
(नोट यह स्थिति 3 अक्टूबर तक की है, जबकि पंजीयन की आखिरी तारीख 16 अक्टूबर शासन ने निर्धारित की है)
गिरदावरी की कुछ त्रुटियों को सुधार दिया गया है, क्योंकि पंजीयन का काम उपार्जन साइट से होता है ऐसे में बाकी सुधार का काम भोपाल स्तर पर ही संभव है, जिसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि किसानों को किसी तरीके से परेशान न हो।
गौरव बैनल, एसडीएम, सिहोरा