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जबलपुर

इस घर में लगे हैं नासा की खोज के पौधे, गजब का है कारण

इस घर में लगे हैं नासा की खोज के पौधे, गजब का है कारण

जबलपुरApr 01, 2018 / 02:11 pm

Lalit kostha

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मनोज वर्मा ञ्च जबलपुर। मनुष्य शरीर की पांच कर्म इंद्रियां जो संसारी कार्यों को करने में इस्तेमाल होती हैं। इन इंद्रियों को सशक्त करने और सकारात्मक तरंगों की प्राप्ति के लिए विज्ञान और तकनीक से गार्डन तैयार किया गया है। इसकी शुद्ध हवा दीर्घायु कर रही है। इस गार्डन में नेशनल एेरोनेटिक एंड स्पेस एडमिनिसट्रेशन (नासा) की खोज के पौधे भी रोपे गए हैं। ये हवा में मिश्रित हानिकारक तत्वों को अवशोषित कर ऑक्सीजन छोड़ रहे हैं। मसालों की खुशबू से महकी बगिया की हकीकत बयां करती पत्रिका की पॉजीटिव रिपोर्ट…।

आदर्श नगर में रहने वाली डॉ. प्राची सक्सेना ने अपने घर के पासकरीब छह हजार वर्ग फीट में एेसा गार्डन तैयार किया है, जिससे प्रदूषण कम होने का दावा किया जा रहा है। इस गार्डन की हरियाली में पक्षी चहचहा रहे हैं। गार्डन में रोपे गए देसी-विदेशी पौधों की भीनी खुशबू लोगों को मुग्ध कर रही है। गार्डन देसी मसालों की पहचान बन रहा है। इसमें फूल, फल के पौधों सहित पॉम के पौधे लगाए गए हैं।
गुलाब वाटिका से शुरुआत घर के सामने के हिस्से में गुलाब वाटिका से इस गार्डन की शुरुआत की गई है। इसमें रंग-बिरंगे गुलाब लगाए गए। गुलाब के साथ अन्य किस्म के पौधे रोपे गए। इसमें बोनसाई के पौधे भी शामिल हैं।

about

गार्डन में विज्ञान और तकनीक का संगम, पांच इंद्रिय बनी आधार,
सकारात्मक तरंगों के साथ शुद्ध हवा की प्राप्ति, देसी-विदेशी पौधों से संवरा उद्यान
मसालों की खुशबू से महकी बगिया

एेसे हुई शुरुआत
डॉ. सक्सेना कहती हैं कि बचपन से गार्डन का शौक था। पांचों इंद्रिय के साथ गार्डन बनाने की योजना बनाई। इसमें पांचों इंद्रियों के आधार पर पौधे लगाए। इसमें नेपाल का जांकप्लांट भी लगाया, जिसके बड़े और खुशबूदार फूल होते हैं। यह पौधा बगीचे का आदर्श है। इसके अलावा मसालों में तेजपत्ता, दालचीनी , लौंग, इलायची और ऑल मिक्स मसालों के पौधे हैं। वाटिका में नींबू, आम, अनार, जामुन, पान, अमरूद सहित सिंदूर के भी पेड़ हैं।

इंटीरियर में पॉम
पॉम का पेड़ घर के अंदर के हानिहाकारक तत्वों को ऑक्सीजन में बदलता है। इसकी पुष्टि नासा ने भी की है।

ये थी सोच
गार्डन संवारने वाली डॉ. सक्सेना कहती हैं कि पेड़-पौधे लगाने का शौक तो हर किसी को होता है, लेकिन हमने एेसे गार्डन का सपना देखा था, जो पांच इंद्रियों पर आधारित हो। यह अनूठा है। जब इसे तैयार किया गया, तो इस बात का अहसास होने लगा कि गार्डन में पहुंचते ही एक अलग प्रकार की शांति और ताजगी महसूस होती है।

नाक- सुगंध के लिए अलग-अलग फूलों के पौधे लगाए गए।
मुंह- स्वाद के लिए फल एवं मसालों की पौध रोपी।
आंख- आकर्षक रंगों और आकार के फूलों की पौध लगाई।
स्पर्श- नागफनी रोपे, जिससे स्पर्श पद्धति मिली।
कान- हरियाली में फूल-फल में पक्षियों की चहचहाहट से प्राकृतिक आनंद मिला।

घर में पा्रकृतिक वातावरण रहेगा, तो निश्चित है कि सकारात्मक तरंगें आएंगी। गार्डन में रंग-बिरंगे फल-फूलदार पौधों से ताजगी रहती है। कॉन्क्रीट के मकडज़ाल में पक्षियों को एक आसरा मिल रहा है। पॉम हवा को शुद्ध कर रहा है।
– डॉ. प्राची सक्सेना

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