scriptदूसरे प्रदेश से स्नातक की डिग्री हासिल करने पर मूलनिवासी छात्र को बाहरी मानना गलत | It is wrong to consider a native student as an outsider | Patrika News

दूसरे प्रदेश से स्नातक की डिग्री हासिल करने पर मूलनिवासी छात्र को बाहरी मानना गलत

locationजबलपुरPublished: May 26, 2022 06:39:32 pm

Submitted by:

prashant gadgil

हाईकोर्ट का अहम फैसला, एपीएस विवि को अधिक वसूली फीस लौटाने के निर्देश
 
 

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जबलपुर। कानून के एक छात्र ने रीवा के अवधेश प्रताप सिंह (एपीएस) विवि की ओर से 500 रुपए की जगह 8000 रुपए नामांकन शुल्क वसूल करने के रवैये के खिलाफ कानूनी जंग लड़ी। मप्र हाईकोर्ट ने उसकी याचिका पर कहा कि मप्र के मूलनिवासी छात्र को महज इस आधार पर बाहरी मानना गलत है कि उसने स्नातक की डिग्री दूसरे प्रदेश से हासिल की।जस्टिस सुजय पाल व जस्टिस द्वारकाधीश बंसल की डिवीजन बेंच ने एपीएस विवि को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता से मध्यप्रदेश के छात्रों के समान 500 रुपए नामांकन शुल्क लिया जा सकता है। उससे अधिक वसूली गई राशि लौटाई जाए।

यह है मामला

रीवा निवासी मनोज कुमार पाण्डेय ने अविभाजित मध्यप्रदेश ( वर्तमान में छत्तीसगढ़) के बिलासपुर की गुरु घासीदास विश्वविद्यालय से 1997 में बीए की डिग्री ली। वर्ष 2020 में याचिकाकर्ता ने जब एलएलबी करने के लिए अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा अंतर्गत शासकीय महाविद्यालय त्योंथर में प्रवेश लिया तो नामांकन शुल्क के तौर पर विश्वविद्यालय ने याचिकाकर्ता को प्रदेश के बाहर से आए छात्र के तौर पर मानते हुए 8000 फीस ली। इसे याचिकाकर्ता की ओर से याचिका के जरिए इस आधार पर चुनौती दी गई कि वह मध्यप्रदेश का मूल निवासी है। साथ ही उसने अविभाजित मध्यप्रदेश से बीए की डिग्री ली है।

बीए करने के बाद बना छग

अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने तर्क दिया कि छत्तीसगढ का गठन याचिकाकर्ता के बीए करने के बाद 2000 में हुआ था ,अतः उसे दूसरे प्रदेश से आया छात्र नहीं माना जा सकता । कोर्ट ने अधिवक्ता मिश्रा के तर्क को सही मानते हुए याचिका स्वीकार कर ली। कोर्ट ने निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता से राज्य के मूल निवासी छात्रों के समान ही नामांकन शुल्क लिया जा सकता है।

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