script55 साल लग गए रंग दे बसंती की स्क्रिप्ट लिखने में बोले कथाकार व फिल्मों के स्क्रिप्ट राइटर | It took 55 years to write the script of Rang De Basanti, the narrator | Patrika News

55 साल लग गए रंग दे बसंती की स्क्रिप्ट लिखने में बोले कथाकार व फिल्मों के स्क्रिप्ट राइटर

locationजबलपुरPublished: Dec 13, 2019 01:09:18 am

Submitted by:

Prabhakar Mishra

५५ साल लग गए रंग दे बसंती की स्क्रिप्ट लिखने में बोले कथाकार व फिल्मों के स्क्रिप्ट राइटर
जबलपुर।
ओशो ने मनुष्य को जीवन बच्चों के अक्खड़पन की तरह मस्त मौला होकर जीवन जीने की राह दिखाई। रंग दे बसंती के फिल्म की स्क्रिप्ट मेरे बचवन से शुरू होकर पचपन साल में तैयार हो सक ी। ये बात कथाकार, फिल्मकार कमलेश पांडे ने ओशो महोत्सव में कही। उन्होंने जबलपुर से जुड़ी यादों को साझा करते हुए कहा कि वे मूलत: बलिया के रहने वाले हैं। जब गांव से बाहर निकले तो पहले बार शहर के तौर पर जबलपुर को देखा।

osho biography

आज भी जानना चाहते हैं लोग ओशो और उनके आश्रम से जुड़े रहस्य

मामा के घर आए थे। श्रीनाथ की तलैया के पास रहते थे। समीप के ही स्कूल में एडमिशन हुआ था। एक दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री पं नेहरू ने एक उद्बोधन दिया कि भ्रष्टाचार करने वालों को टेलीफोन के खंभों में टांग दिया। उत्सुकता थी एेसा होगा। स्कूल छूटा तो श्याम टॉकीज से लेकर आसपास के क्षेत्र में देखा टेलीफोन के खंभे खाली थे। १९९८ में जब रंग दे बसंती की पटकथा लिख रहा था तब भी वे खंभे खाली थे। अब वे खंभे भी नहीं रहे। लेकिन भ्रष्टाचारी और भ्रष्टाचार खत्म नहीं हुआ। यही इस फिल्म के लेखन का मूल कारण बना।
ओशो से मिला तो बदल गई जिंदगी-मामा के यहां ठहरा हुआ था। परीक्षा सामने थी, मुझे विद्वानों के संदर्भ लिखने का शौक था। मेज पर देखा तीन किताब रखी हैं ‘मिट्टी के दियेÓ, ‘पथ के प्रदर्शकÓ, ‘क्रांति बीज Ó तीनों को पढ़ा तो देखा की। हर पंक्ति अपने संदर्भ है। मामा ने किताबों को पढ़ते देखकर कहा मिलना चाहोगे उस शख्स से। मैं तैयार हो गया। देवताल स्थित उस स्थल पर पहुंचे। ५५ साल बाद आज भी मैं उसी कमरे में गया। इसके बीच ओशो से मुझे मिली राह से लेकर सन्यास लेने और फिर मेरी जिंदगी को देखने का नजरिया पूरी तरह से बदल जाने की कहानी उतनी ही दिलचस्प हैं। अब ज्ञानी होने की बात नहीं करते-कमलेश पांडे ने कहा कि गुरू ज्ञान देते हैं। लेकिन मेरे गुरू ओशो ने मुझे इतना बड़ा अज्ञापन दे दिया कि अब ज्ञानी होने की बात नहीं क र सकते। ओशो ने धर्मों की जंजीरों से निकालकर अतीत के बुद्धों की संपदा लुटा दी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो