पनागर अब भी इस बाजार के लिए मशहूर है पनागर के ही पटेल मोहल्ला में स्थित सूर्य-भू देवी
की प्रतिमा भी हजारों वर्ष पुरानी है।
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जबलपुर। कई तरह की प्राचीन प्रतिमाओं को देखा व सुना होगा, जो आश्चर्य में डालती हैं लेकिन अब तक कभी भी आपने शायद ही ऐसी कोई प्रतिमा देखी व सुनी होगी जिसमें खगोल विज्ञान का नजारा भी स्पष्टत: नजर आता है।
वर्तमान में शहर के 13 किमी. दूर बसे पनागर का नाम पन्यागर के नाम से प्रचलित था। पन्यागर का मतलब होता है, जिस स्थान पर बाजार का भव्य आयोजन किया जाए। उस जगह पर रोजमर्रा की चीजों के साथ हाथी, घोड़े और अन्य जानवरों तक को बेचा जाता था। पनागर अब भी इस बाजार के लिए मशहूर है, जहां अब गाय, बकरी और घरेलू सामानों का बड़ा बाजार सजता है। पनागर के ही पटेल मोहल्ला में स्थित सूर्य-भू देवी की प्रतिमा भी हजारों वर्ष पुरानी है।
इतिहासविद राजकुमार गुप्ता के अनुसार कल्चुरि काल के समय की खगोल विज्ञान को दर्शाती यह प्रतिमा काफी शानदार है। मूर्ति की लम्बाई 5.5 ऊंची और ढाई फीट चौड़ी है। एेसे में व्यापारी सूर्य सेन ने अपने व्यापार में बढ़ोत्तरी के लिए इस प्रतिमा का निर्माण करवाया था। इस प्रतिमा की बनावट बेहद शानदार है, जिसके इर्द-गिर्द देखक ब्रम्हांड की कल्पना की जा सकती है।
सूर्य के चरणों में है पृथ्वी
पुराने समय से ही यह दर्शाया गया था कि सूर्य पृथ्वी के कितना बड़ा है। उसी खगोल विज्ञान का नजारा इस प्रतिमा में भी देखने को मिलता है। इसमें सूर्य की प्रतिमा का विशालकाय रूप दिखाया गया है, वहीं पृथ्वी का निर्माण सूर्य के चरणों की तरफ किया गया है।