संदर्भ के तौर पर होता है ग्रंथों का उपयोग
ब्यौहार राजेंद्र सिंह के पोते डॉ. अनुपम सिन्हा बताते हैं कि विश्वविद्यालयों में रिसर्च में संदर्भ के तौर पर उनके ग्रंथों का उपयोग किया जाता है। उन्होंने हिन्दी के विस्तार पर लगातार काम किया। धर्म, सम्प्रदायों के बीच समन्वय को लेकर काफी लिखा। ‘आलोचना के सिद्धांतÓ उनका सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ है। संस्कारधानी के सेठ गोविंददास ने संसद में हिन्दी की आवाज बुलंद की। उस दौर में बहुत कम सांसद हिन्दी में संवाद करते थे। सेठ गोविंददास सहित कुछ अन्य सांसदों की पहल पर धीरे-धीरे लोकसभा व राज्यसभा में हिन्दी में चर्चा होने लगी। हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने सहित हिन्दी को सरकारी कामकाज की भाषा बनाने के लिए उन्होंने हरसम्म्भव प्रयास किया। वे बड़े नाटककार भी थे। उन्होंने कई प्रसिद्ध नाटक लिखे। जीवनभर अपनी लेखनी से हिन्दी साहित्य की सेवा करते रहे। इतिहासकारों के अनुसार संस्कारधानी में भी स्वाध्याय और साहित्य की सेवा कर कामता प्रसाद गुरु व रामेश्वर गुरु ने हिन्दी व्याकरण के विकास में योगदान किया।