जिले में 38 से 40 हजार के बीच किसानों ने धान की खरीदी के लिए रजिस्टे्रशन कराए हैं। इसके मुकाबले कम किसान ही उपार्जन केंद्रों तक पहुंचे हैं। इसमें गड़बड़ी की आशंका होने की वजह से प्रभारी मंत्री प्रियव्रत सिंह ने जांच कमेटी के गठन का निर्देश दिया था। माना जा रहा है कि धान खरीदी की प्रक्रिया पूरी होने पर जांच दल कार्रवाई शुरू करेगा।
प्रशासन को कुछ शिकायतें मिली हैं कि रजिस्टे्रशन में फर्जीवाड़ा किया गया है। सूत्रों ने बताया कि बिचौलिये और कुछ व्यापारी ऐसे हैं जो इस बात की तस्दीक करते रहते हैं कि किस किसान के पास जितनी उपज उसने दर्ज कराई है, उसके पास उतनी नहीं है। ऐसे में वह अपनी पुरानी धान तक बेच देता है। इसी प्रकार दूसरे किसानों से सस्ती दरों में इसका क्रय कर खरीदी केंद्रों में लाकर उसे शासन के समर्थन मूल्य पर बेच देता है। जिला आपूर्ति नियंत्रक एमएनएच खान ने बताया कि जितनी संख्या में खरीदी केंद्रों पर रजिस्टे्रशन हुए हैं, उतने किसान नहीं आए हैं। जांच में पता लगाया जाएगा कि ऐसा क्यों हुआ। कहीं फर्जी रजिस्टे्रशन तो नहीं हुए। इसी तरह व्यापारियों की संलिप्तता का पता भी लगाएंगे। इस मामले में किसान संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी जांच की मांग की है। मुख्य विपक्षी भाजपा का आरोप है कि किसानों के साथ छलावा किया जा रहा है। धानखरीदी समय पर नहीं हो रही है। खाद के लिए कतार लगानी पड़ रही है।