छिपा दिया था डीवीआर, जांच में मिला
मामले की जांच के दौरान जब एसआइटी ने सीसीटीवी फुटेज देखे, तो कुछ ज्यादा सबूत एसआइटी के हाथ नहीं लगे। लेकिन जब आरोपियों से पूछताछ की गई, तो पता चला कि पूर्व में लगा डीवीआर मोखा के इशारे पर निकाला जा चुका है। यह पता चलते ही एसआइटी ने दोबारा से डीवीआर की तलाश शुरू की और फिर वह डीवीआर जब्त किया था, जिसे मोखा ने निकलवा दिया था। फिलहाल यह डीवीआर भोपाल स्थित साइबर सेल के पास है। जहां उसका डिलीट हुआ डाटा रिकवर किया जा रहा है।
उपयोग वॉयल बुलाए
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का मामला खुलने के पूर्व सोनिया अक्सर कोविड वार्ड में आती-जाती थी। लेकिन जैसे ही यह राज खुला, तो उसने कोविड वार्ड में जाना-आना कम कर दिया था। एसआइटी की माने तो फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद सोनिया ने वार्ड से उपयोग किए गए नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के वॉयल बुला लिए थे। लेकिन इसके बावजूद उसे यह भरोसा नहीं था कि पूरे के पूरे वॉयल उसके पास आ गए हैं, इसलिए वह कोविड वार्ड पहुंची थी। जहां खुद उसने खुद चैक किया था। सोनिया ने स्टाफ को भी चेतावनी दी थी कि वह इस बारे में किसी के सामने कोई राज नहीं खोले।
आ सकते हैं तीनों आरोपी
10 जून को न्यायालय में भगवती फार्मा के संचलाक सपन जैन, इंदौर में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की सप्लाई देने वाले रीवा निवासी सुनील मिश्रा और गुजरात के सूरत निवासी नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की फैक्ट्री के संचालक कपिल वोरा की पेशी है। ऐसा माना जा रहा है कि तीनों को गुजरात पुलिस जबलपुर ला सकती है। यदि दस जून को यह तीनों पेश कर दिए गए, तो उन्हें रिमांड पर लिया जाएगा।