वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो एवं सहयोगी टीमों ने 8 माह में मप्र एवं दूसरे राज्यों में 8 मामले में पकड़े हैं, उनमें सर्वाधिक मामले जबलपुर एवं आस पास के क्षेत्रों के हैं। जबकि, रेल नेटवर्क, सड़क मार्ग के साथ प्रमुख टाइगर रिजर्व के मध्य में होने के कारण शहर को वन्य प्राणियों के शिकार के मामले में संवेदनशील माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार जबलपुर में वन्य प्राणियों के अंगों का सौदा किया जा रहा है। वन विभाग ने जबलपुर में टाइगर स्ट्राइक फोर्स का क्षेत्रीय कार्यालय बनाया है। जबकि, वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो जबलपुर शाखा के अंतर्गत चार राज्य आते हैं। वन विभाग के रिटायर्ड सीसीएफ ओपी तिवारी के अनुसार शिकार के बाद तस्कर कई लोगों का नेटवर्क बनाकर वन्य प्राणियों के अंगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाते हैं। वे शहर को अपना रूट बनाते हैं, जहां धर-पकड़ करने वालों की नजर न पड़ रही हो। जबलपुर में तीन केस पकड़े गए हैं। इसलिए अन्य रूटों पर भी पैनी नजर रखने की आवश्यकता है। बाघ तेंदुए के बाद पेंगोलिन पर सबसे ज्यादा बुरी नजर है।
वन्य प्राणियों के अपराध नियंत्रण के लिए अपराधियों को लगातार पकड़ा जा रहा है। उनके नेटवर्क को तोडऩे की कोशिश की जा रही है। मप्र में तेंदुए और पेंगोलिन के अंगों की ज्यादा तस्करी पकड़ी गई है।
देवेंद्र सिंह राठौर, इंस्पेक्टर वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो
वन एवं वन्य प्राणियों के अपराध नियंत्रण के लिए वन विभाग की टीम सक्रिय है। तेंदुए की मौत के बाद एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया। अन्य चार आरोपी घर छोड़कर फरार हैं, उनकी तलाश में दबिश दी जा रही है।
रवींद्र मणि त्रिपाठी, डीएफओ