यह है मामला
चैन ङ्क्षसह पड़वार, मिल्कू डहेरिया सहित सिवनी जिले के आदिवासी स्कूलों एवं हॉस्टल में कार्यरत उक्त श्रेणी के 31 कर्मचारियों ने अवमानना याचिका दायर की। अधिवक्ता सुशील मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि इनमें से अधिकतर कर्मचारी 2003 के बाद से सेवारत हैं। मप्र शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने 7 अक्टूबर 2016 को परिपत्र जारी कर चतुर्थ श्रेणी के स्थाई कर्मचारियों को नियमित वेतनमान का लाभ देने का आदेश जारी किया था। इसी तारतम्य में छतरपुर जिले के कर्मियों को 20 जुलाई 2021 के आदेश से उक्त लाभ दे दिया गया। अधिवक्ता मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि कर्मचारी संगठन ने इस मांग को लेकर 31 अगस्त 2021 को सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग को अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था। इसके बाद संगठन ने सिवनी कलेक्टर और विभाग के आयुक्त भोपाल को भी अभ्यावेदन पेश किया था।
चैन ङ्क्षसह पड़वार, मिल्कू डहेरिया सहित सिवनी जिले के आदिवासी स्कूलों एवं हॉस्टल में कार्यरत उक्त श्रेणी के 31 कर्मचारियों ने अवमानना याचिका दायर की। अधिवक्ता सुशील मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि इनमें से अधिकतर कर्मचारी 2003 के बाद से सेवारत हैं। मप्र शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने 7 अक्टूबर 2016 को परिपत्र जारी कर चतुर्थ श्रेणी के स्थाई कर्मचारियों को नियमित वेतनमान का लाभ देने का आदेश जारी किया था। इसी तारतम्य में छतरपुर जिले के कर्मियों को 20 जुलाई 2021 के आदेश से उक्त लाभ दे दिया गया। अधिवक्ता मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि कर्मचारी संगठन ने इस मांग को लेकर 31 अगस्त 2021 को सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग को अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था। इसके बाद संगठन ने सिवनी कलेक्टर और विभाग के आयुक्त भोपाल को भी अभ्यावेदन पेश किया था।
पेश की अवमानना याचिका
हाईकोर्ट ने नौ फरवरी 2022 को फैसले में सहायक आयुक्त को निर्देश दिए थे कि याचिकाकर्ताओं को सामान्य प्रशासन विभाग के 7 अक्टूबर 2016 के परिपत्र के आधार पर नियमित वेतनमान का लाभ दें। आदेश का पालन नहीं होने पर अवमानना याचिका प्रस्तुत की गई।
हाईकोर्ट ने नौ फरवरी 2022 को फैसले में सहायक आयुक्त को निर्देश दिए थे कि याचिकाकर्ताओं को सामान्य प्रशासन विभाग के 7 अक्टूबर 2016 के परिपत्र के आधार पर नियमित वेतनमान का लाभ दें। आदेश का पालन नहीं होने पर अवमानना याचिका प्रस्तुत की गई।
नहीं की कोई कार्रवाई
कोर्ट को बताया गया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद याचिकाकर्ताओं ने 17 एवं 23 फरवरी को पुन: विभाग को अभ्यावेदन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
कोर्ट को बताया गया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद याचिकाकर्ताओं ने 17 एवं 23 फरवरी को पुन: विभाग को अभ्यावेदन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।