जबलपुर। नर्मदापुरम जिला पंचायत में स्टेनो के पद पर कार्यरत दैनिक वेतन भोगी ने हाईकोर्ट के निर्देश पर नियमितिकरण के लिए आवेदन दिया तो उसे सेवामुक्त कर दिया गया। दैवेभो ने दोबारा हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने जिला पंचायत नर्मदापुरम के सीईओ को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर उसे सुनवाई का अवसर देते हुए नियमानुसार विचार कर उचित निर्णय पारित करें। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने कहा कि अभ्यावेदन के निराकरण तक याचिकाकर्ता अपने पद पर कार्यरत रहेगा।
यह है मामला
होशंगाबाद निवासी प्रवेश निरंजन ने याचिका दायर कर बताया कि वह जिला पंचायत में दैवेभो के रूप में स्टेनो/टाइपिस्ट के पद पदस्थ है। प्रदेश ने पूर्व में एक याचिका दायर कर नियमितिकरण की मांग की थी। हाईकोर्ट ने 29 जुलाई 2022 को जिला पंचायत को निर्देश दिए थे कि याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विचार कर उचित निर्णय पारित करें। प्रशासन ने उसका अभ्यावेदन निरस्त कर दिया और उसे सेवामुक्त कर दिया।
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याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुधा गौतम ने बताया कि नियुक्ति जिला पंचायत की सामान्य प्रशासकीय समिति के निर्णय के अनुसार रिक्त पद पर की गई थी। समिति ने यह निर्णय 31 मई 2008 को लिया था। उन्होंने यह भी बताया कि सेवामुक्त करने से पहले याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया गया। कोर्ट ने जिला पंचायत सीईओ को कहा कि समिति के उक्त निर्णय के आधार पर 90 दिन के भीतर याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का निराकरण करें।
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