अस्पताल के डॉक्टरों की मानें तो चुनौतियां बहुत थी पर उनको पार किया गया। यह पहला प्रत्यारोपण काफी जटिल था। दो धमनी होने के कारण पूर्व में प्राइवेट सेक्टरों के अस्पताल इंकार कर चुके थे। किडनी के काम न करने की आशंका जताई गई थी। लेकिन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने इस चुनौती को स्वीकार किया।
इस किडनी प्रत्यारोपण में मरीज के पिता ने अपने पुत्र को किडनी दान कर उसे पुनः नया जीवन दिया है। डॉक्टरों के मुताबिक इस प्रत्यारोपण के बाद मरीज व डोनर दोनों की सेहत में पूर्व अनुमान के मुताबिक तेजी से सुधर रहा है। डॉक्टर कहते हैं दोनों को अगले छह-सात दिन में डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
अब जिलावासी भी प्रसन्न हैं कि अब उन्हं किडनी की किसी भी बीमारी के लिए उन्हें जबलपुर के बाहर नहीं जाना होगा। गरीबों के लिए यह अत्यंत ही शुभ समाचार है कि मेडिकल में आयुष्मान योजना में किडनी प्रत्यारोपण पूर्णता निशुल्क होगा।
इस गौरवमई उपलब्धि में डीन डॉ प्रदीप कसार का अनुकरणीय योगदान रहा। प्रत्यारोपण के लिए शासन-प्रशासन स्तर पर आवश्यक अनुमति हासिल करन में डॉ प्रदीप की महत्वपूर्ण भूमिका रही। थोड़े ही समय में आवश्यक उपकरण व दवाएं भी उपलब्ध हो गईं।
किडनी रोग विभाग के डॉक्टर अश्वनी पाठक, डॉ नीरज जैन व डॉ तुषार ने सभी जरूरी परीक्षण कर पेशेंट व डोनर तैयार कर सभी टीम से समन्वय स्थापित किया। यूरोसर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. फणींद्र सोलंकी ने सर्जरी टीम का नेतृत्व किया। उनकी टीम में डॉक्टर अर्पण, डॉक्टर अविनाश, डॉक्टर प्रशांत, एवं डॉक्टर अनुराग का सहयोग रहा। निःसंज्ञा विशेषज्ञ डॉ अपर्णा, डॉ मीना, डॉक्टर कमल एवं डॉक्टर अनिवेश ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ वाईआर यादव ने विशेष इंतजाम एवं जरूरतों को पूर्ण कर अनुकरणीय योगदान दिया।
जबलपुर मेडिकल कॉलेज को इस तरह के गंभीर बीमारी के इलाज की सुविधा दिलाने में चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ विश्वास सारंग जी का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने यहां के डॉक्टरों की टीम का मनोबल हमेशा ही बढ़ाया।