Jabalpur news: कुओं के कंठ सूखे, पानी गया पाताल
Jabalpur news: तेजी से नीचे जा रहा भू जलस्तर, कई जगह चिंताजनक हालात
- प्रदेश में सैकड़ों कुएं सूख, 34 प्रतिशत से अधिक भूजल का नुकसान
- राजस्थान के बाद मध्यप्रदेश में सबसे अधिक कुओं के जल स्तर में गिरावट दर्ज
जबलपुर
Published: April 06, 2022 11:26:10 pm
Jabalpur news: जबलपुर . इस बार रेकॉर्ड तोड़ गर्मी से लोग बेहाल हैं। पारा अप्रेल के शुरू में ही बेकाबू हो चला है। भू जलस्तर भी तेजी से नीचे जा रहा है। कई जगह चिंताजनक हालात निर्मित होने लगे हैं। परंपरागत जलस्रोतों की बेकद्री ने स्थिति को और भयावह बना दिया है। तालाब और कुओं की भू-जलस्तर बनाएं रखने में बड़ी भूमिका रही है। निस्तार के लिए कुओं पर निर्भर क्षेत्रों में संकट खड़ा हो गया है। बचे हुए कुओं का रखरखाव भी बेढ़ंगा है। ग्रामीण स्तर पर पंचायतें और शहरी क्षेत्र में नगर निगम, नगर पालिकाओं का इस ओर कभी गंभीर प्रयास नहीं दिखा।
कभी थे 472 सार्वजनिक कुएं
प्रदेश में बीते एक दशक में 1297 कुओं के सर्वेक्षण का आंकड़ा चौंकाने वाला है। 446 कुए लगभग सूख गए हैं। इससे 34 प्रतिशत से अधिक भूजल का बड़ा नुकसान हुआ। कुछ कुओं का पानी चार से पांच मीटर तक नीचे चला गया। जबलपुर में करीब तीन दर्जन कुओं के सर्वेक्षण में 60 प्रतिशत जलस्तर की गिरावट दर्ज की गई है। नगर निगम के रिकार्ड में एक दशक पहले तक 472 सार्वजनिक कुएं दर्ज थे। इन कुओं का पानी क्षेत्रीयजन ऊपरी उपयोग के लिए करते थे। आसपास जल संकट गहराने पर इन कुओं का बड़ा सहारा रहता था। धीरे-धीरे इन कुओं पर लोगों का कब्जा हो गया। एक-एक कर बड़ी संख्या में कुआं पूर दिए गए। लंबे समय से निगम ने बचे सार्वजनिक कुओं के रखरखाव की ठोस पहल नहीं की। निगम के जल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिन भी इलाकों से सार्वजनिक कुओं की सफाई के लिए आवेदन आते हैं, उनकी सफाई कराई जाती है।
प्रदेश के 34 फीसदी कुएं सूखे
राजस्थान के बाद मध्यप्रदेश में सबसे अधिक कुओं के जल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है। केंद्रीय भूजल बोर्ड सीजीडब्ल्यूबी के आकलन के मुताबिक प्रदेश में 34 प्रतिशत कुओं का जलस्तर तेजी से गिरा है। वहीं, बिहार में 18 फीसदी, उत्तरप्रदेश में 26 प्रतिशत कुओं के जलस्तर में गिरावट आई है। प्रदेश के कुछ जिलों की ज्यादा चिंताजनक हालत है, इनमें कटनी, सागर, सिवनी, दमोह, छतरपुर, पन्ना, डिंडोरी, बड़वानी, नर्मदापुरम, झाबुआ, अलीराजपुर शामिल हैं। यहां कुओं का अस्तित्व मिटने से 50 से 80 प्रतिशत तक की बड़ी गिरावट आई है। दावा यह भी है कि सरकार ने गिरते भूजलस्तर को रोकने के उपायों और प्रयासों के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा और शहरी क्षेत्रों वाटरशेड मिशन के माध्यम से बारिश के पानी का संचय करने वाला सिस्टम विकसित किया है। इसके लिए केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश को विशेष फंड भी मुहैया कराया है।
जल संचय का मास्टर प्लान
प्रदेश के 11 जिलों के पानी की कमी वाले विकाखंडों में केंद्र सरकार की ओर से भूजल को बढ़ाने के मिशन मोड पर जल शक्ति अभियान चलाए जाने की योजना है। अधिकारियों के दलों को उन क्षेत्रों में सक्रिय किया जाएगा। भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण के लिए बाकायदा मास्टर प्लान भी लागू किया जाना है। प्रदेश में बारिश के 9188 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी का उपयोग कर 7.2 लाख वर्षा जल के कृत्रिम पुनर्भरण की परिकल्पना की गई है। इसके लिए करोड़ों की राशि के इस्तेमाल का भी लक्ष्य रखा गया है।
तेजी से गिरावट वाले जिले
जिला, सर्वे में कुओं की संख्या, गिरावट की दर
जबलपुर, 32, 63 प्रतिशत
कटनी, 16, 69 प्रतिशत
अलीराजपुर, 13, 77 प्रतिशत
झाबुआ, 11, 64 प्रतिशत
नर्मदापुरम, 17, 82 प्रतिशत
सागर, 46, 52 प्रतिशत
सिवनी, 43, 51 प्रतिशत
डिंडोरी, 16, 56 प्रतिशत
पन्ना, 27, 74 प्रतिशत
दमोह, 22, 55 प्रतिशत
छतरपुर, 37, 57 प्रतिशत
बड़वानी, 09, 67 प्रतिशत
वर्जन-
जिन भी इलाकों से सार्वजनिक कुओं की सफाई के लिए आवेदन किया जाता है, उनकी सफाई कराई जाती है, हालांकि लंबे समय से निगम की ओर से ऐसा कोई सर्वे नहीं किया गया है कि वर्तमान में कितने सार्वजनिक कुओं का अस्तिव बचा है।
कमलेश श्रीवास्तव, कार्यपालन यंत्री, नगर निगम जबलपुर

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