111 को नहीं आया पसंद
जानकारी के अनुसार अगस्त माह में स्वच्छता सर्वेक्षण की पहली टीम मुख्य रेलवे स्टेशन पहुंची थी। यहां रेलवे ट्रैक समेत टॉयलेट व अन्य की बारीकी से जांच की गई थी। इस दौरान कुछ कमियां मिलीं थीं। जिन्हें टीम ने नोट कर लिया था। सितंबर में सर्वेक्षण टीम दूसरी बार स्टेशन पहुंची। इस बार 250 यात्रियों से फीडबैक लिया गया। लेकिन इनमें से 111 यात्री ऐसे थे, जिन्हें जबलपुर स्टेशन की सफाई व्यवस्था पंसद नहीं आई, यह भी एक बड़ा कारण रहा।
सफाई का एरिया
-छहों प्लेटफॉर्म
-प्लेटफार्मो के विभिन्न कक्ष
-सर्कुलेटिंग एरिया
-रेलवे ट्रैक
-ओवर ब्रिज
-रेलवे कॉलोनी।
इन्हें सौंपी जांच की जिम्मेदारी
-ठेका कंपनी के सुपरवाइजर
-रेलवे के स्वास्थ्य निरीक्षक
-स्टेशन अधीक्षक
-वाणिज्य विभाग के कर्मचारी।
केस-1
स्थान- प्लेटफॉर्म क्रमांक एक
हालात- रेलवे ट्रैक पर चाय के डिस्पोजल व चिप्स के पैकेट पड़े हुए थे। कई स्थानों पर पानी भरा हुआ था।
केस-2
स्थान- सर्कुलेटिंग एरिया
हालात- बाहर कई स्थानों पर गुटखा और पान की पीक पड़ी थी। जहां-तहां पान और गुटखों के पाऊच भी पड़े थे।
केस-3
स्थान- रेलवे कॉलोनी
हालात- रेलवे ब्रिज क्रमांक दो के पास स्थित कॉलोनी के प्रवेश द्वार पर ही कचरे का अंबार पड़ा हुआ है।
ठेका कंपनी की ओर से सफाई
-94 कर्मचारी है ठेका कंपनी में
-12 से अधिक हैं मशीनें
-12 लाख रुपए भुगतान प्रतिमाह।