People are compelled to wander for revenue related records due to the will of the District Level Records Branch of the Collectorate Office.
जबलपुर. कलेक्टर कार्यालय की जिला स्तरीय रिकॉर्ड शाखा की मनमर्जी से लोग राजस्व संबंधी रिकॉर्ड के लिए भटकने के लिए मजबूर हैं। स्टाफ समय पर इसे उपलब्ध नहीं करवाता। ऐसे में लोग लोकसेवा केंद्रों के चक्कर काटते रहते हैं। वहां से जवाब मिलता है कि अभी रिकॉर्ड रूम से ही सत्यप्रतिलिपी नहीं मिली है। मौजूदा समय में करीब 230 आवेदन ऐसे हैं जिनकी सत्यप्रतिलिपी 15 दिनों के भीतर दिया जाना जरुरी थी लेकिन समय बीतने पर भी आवेदकों को यह नहीं मिली।
आवेदक रिकॉर्ड रूम में जमा भू अभिलेख राजस्व प्रकरणों की सत्यप्रतिलिपी के लिए आवेदन करते हैं। इसके लिए वे लोकसेवा केंद्रों के जरिए फीस जमा कर सत्यप्रतिलिपी लेते हैं। लेकिन यह समय पर नहीं मिलती । ऐसी स्थिति आए दिन बनी रहती है। 100 से 150 आवेदन लंबित रहते हैं। उनकी सत्यप्रतिलिपी नहीं मिलने से ऐसे कई आवेदकों के जरूरी काम अटक जाते हैं। जबकि शासन ने तय समय सीमा में इन्हें उपलब्ध कराना जरूरी किया है।
रोजाना आते हैं 50 से 60 आवेदन लोकसेवा केंद्रों में ज्यादातर भू अभिलेखों में पुराने खसरे, पुराने नक्शा, महत्वपूर्ण आदेश और संपूर्ण केस की नकल सहित दूसरे अभिलेखों के लिए आवेदन आते हैं। रोजाना कलेक्टर कार्यालय में स्थित लोकसेवा केंद्र में 50 से 60 आवेदन आते हैं। यदि आवेदन लगा तो ज्यादातर मामलों में नकल 15 दिनों के भीतर दिया जाना अनिवार्य है। जिनके रिकॉर्ड नहीं होते उसमें स्पष्ट कर दिया जाता है कि रिकॉर्ड नहीं है। कई बार तो आवेदक रिकॉर्ड रूम ही चला जाता है। वहां स्टाफ से बात करता है तो उसे यह कह दिया जाता है कि जल्द ही लोकसेवा केंद्र सत्यप्रतिलिपी भेज दी जाएगी। ऐसे में दो जगहों के बीच वह चक्कर ही काटता रहता है। आए दिन ऐसे मामले सामने आते हैं। इसका एक बड़ा कारण रिकॉर्ड को अव्यवस्थित रखना भी है।
नकल शाखा का प्रभार बदला है। नकल में डिजीटल सिग्नेचर लगते हैं, उसमें कुछ तकनीकी समस्या आ रही थी, वह ठीक कराई जा रही है। तय समय सीमा में सत्यप्रतिलिपी देना अनिवार्य है, यदि स्टॉफ की तरफ से कोई गड़बड़ी सामने आती है तो कार्रवाई की जाएगी।