फैक्ट्री की टीम भी राजधानी में-
इस तोप को स्वदेशी हथियारों के रूप में शामिल कि या जाता है, क्योंकि इसका उत्पादन पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से किया गया है। भारत में ही निर्मित 90 फीसदी से ज्यादा कलपुर्जे इसमें उपयोग किए जा रहे हैं। भारत की सीमा व भौगोलिक स्थिति के लिहाज से भी यह उपयुक्त तोप है। इस तोप के साथ जीसीएफ की एक टीम भी भेजी गई है। यह टीम नियमित रूप से होने वाली परेड में शामिल हो रही है।
हर महीने बनना हैं तीन तोप
अभी तक सेना को 17 से अधिक तोप सौंपी जा चुकी हैं। आयुध निर्माणियों के निगम में तब्दील होने के बाद इसके उत्पादन को गति देने की योजना भी बनाई गई है। इस साल से हर महीने तीन तोप तैयार करने का लक्ष्य तय किया गया है।
गणतंत्र दिवस परेड के लिए इस साल भी जीसीएफ से धनुष तोप को भेजा गया है। यह हमारा उत्कृष्ट उत्पाद है। इसका नियमित उत्पादन और परीक्षण भी किया जा रहा है।
संजय श्रीवास्तव, जनसम्पर्क अधिकारी जीसीएफ