इन दिनों नर्मदा तटों पर सुबह-सुबह ऐसे अनेक लोग मिल रहे हैं जो अपने पितरों को पानी दे रहे हैं। श्राद्ध पक्ष का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।
जबलपुर। श्राद्ध पक्ष में हिंदू धर्म के अनुसार पितरों को पानी दिया जाता है। इन दिनों नर्मदा तटों पर सुबह-सुबह ऐसे अनेक लोग मिल रहे हैं जो अपने पितरों को पानी दे रहे हैं। श्राद्ध पक्ष का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इन दिनों नियमों का पालन ना करने वाले पितृदोष से भी पीडि़त रहे हैं। विद्वानों ने पितृदोष और उसके निवारण के कुछ उपाए भी बताए हैं। जो कि इस प्रकार हैं।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो लोग श्राद्ध पक्ष के दौरान अपने पितरों का तर्पण, पिण्डदान व श्राद्ध नहीं करते, उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। श्राद्ध का अर्थ अपने पितरों के प्रति व्यक्त की गई श्रद्धा से है। जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है, उसके लिए भी श्राद्ध पक्ष का समय विशेष होता है क्योंकि 16 दिनों में किए गए कर्मों के आधार पर ही पितृ दोष से मुक्ति मिलना संभव है।
उनमें से कुछ समस्या इस प्रकार है-
-पितृ दोष होने के कारण ऐसे लोगों को हमेशा धन की कमी रहती है। किसी न किसी रूप में धन की हानि होती रहती है।
-जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है उनके यहां संतान होने में समस्याएं आती हैं। कई बार तो संतान पैदा ही नहीं होती और यदि संतान हो जाए तो उनमें से कुछ अधिक समय तक जीवित नहीं करती है।
-घर-परिवार में किसी न किसी कारण झगड़ा होता रहता है। परिवार के सदस्यों में मनमुटाव बना रहता है व मानसिक अशांति के कारण जीना दूभर हो जाता है।
-पितृ दोष होने के कारण कन्या के विवाह में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है या तो कन्या का विवाह जल्दी नहीं होता या फिर मनचाहा वर नहीं मिल पाता।
-यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक किसी मुकद्में में उलझा रहे या बिना किसी कारण उसे कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटना पड़े तो ये भी पितृ दोष का कारण हो सकता है।
-पितृ दोष होने पर परिवार का एक न एक सदस्य निरंतर रूप से बीमार रहता है। यह बीमारी भी जल्दी ठीक नहीं होती।
-जिन लोगों को पितृ दोष होता है, उनकी शादी होने में कई प्रकार की समस्याएं आती हैं।
निवारण के उपाय
-अगर कोई व्यक्ति गरीब हो और चाहने पर भी धन की कमी से पितरों का श्राद्ध करने में समर्थ न हो पाए तो वह किसी पवित्र नदी के जल में काले तिल डालकर तर्पण करे। इससे भी पितृ दोष में कमी आती है।
-अगर श्राद्ध करने वाले की साधारण आय हो तो वह पितरों के श्राद्ध में केवल एक ब्राह्मण को भोजन कराए या भोजन सामग्री जिसमें आटा, फल, गुड़, शक्कर, सब्जी और दक्षिणा दान करें। इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
-अगर कोई व्यक्ति ऊपर बताए गए उपायों को करने में भी किसी कारणवश कठिनाई महसूस करे तो वह पितरों को याद कर गाय को चारा खिला दे। इससे भी पितृ प्रसन्न हो जाते हैं।
-विद्वान ब्राह्मण को एक मुट्ठी काले तिल दान करने मात्र से भी पितृ प्रसन्न हो जाते हैं।
पंडित सुनील उपाध्याय के अनुसार इतना भी संभव न हो तो सूर्यदेव को हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि मैं श्राद्ध के लिए जरूरी धन और साधन न होने से पितरों का श्राद्ध करने में असमर्थ हूं। इसलिए आप मेरे पितरों तक मेरा भावनाओं और प्रेम से भरा प्रणाम पहुंचाएं और उन्हें तृप्त करें। विद्वानों के अनुसार ऐसे करने से पितरों को आशीर्वाद प्राप्त होता है।