परदादा ने की अमेरिका की खोज
स्टेनली का दावा है कि उसके प्रपितामह यानी परदादा सर किंग ने 1450 ईस्वी में जहाज के जरिये समुद्री यात्रा कर अमेरिका की खोज कोलम्बस से पहले कर ली थी। इस खोज के बाद उन्होंने वहां भारत से ले जाकर पेड़ पौधे लगाए। यहां से मजदूर, किसान, मवेशी, घोड़े व अन्य पालतू जानवर भी भेजे गए। इस सबके जरिये वहां लेटिन, उत्तरी, मध्य और दक्षिण अमेरिका की खतरनाक यात्रा के दौरान उन्होंने वहां खेती की शुरुआत की। अपनी खोज और शोधों को वे दुनिया छोडऩे के पूर्व अपने वंशजों के नाम कर गए थे। स्टेनली ने इस सम्बंध में कई पुराने और सहेजकर रखे गए दस्तावेज भी दिखाए हैं। इन दस्तावेजों और उनके दावों में कितनी सच्चाई है, इसका खुलासा जांच के बाद ही हो सकेगा। हालांकि इसमें काफी दस्तावेज बेहद अहम नजर आ रहे हैं।
खरबों रुपए मांगा किराया
स्टेनली का दावा है के वे सर किंग लुइस के इकलौते जीवित वंशज हैं। इस नाते उन्होंने अमेरिका से 568 सालों का किराया 1 लाख 44 हजार खरब ब्रिटिश पाउंड मांगा है। पाउंड में किराया मांगने की वजह भी वे दिलचस्प बताते हैं। उनके अनुसार अमेरिकी मुद्रा में किराया वे नहीं चाहते। खुद की जमीन में प्रचलित इस मुद्रा को वे नहीं मानते। उन्होंने ट्रम्प को एयर मेल से भेजे नोटिस में चेताया है कि 90 दिनों में जवाब न देने पर वे मामले को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ले जाएंगे। तब ट्रम्प को इस नोटिस का खर्च 6 हजार खरब पाउंड देना होगा।
कौन हैं लुइस
जबलपुर के इंदिरा मार्केट निवासी 47 वर्षीय स्टेनली जॉन लुइस होटल का संचालन करते हैं। स्टेनली भारत के राष्ट्रपति पद का चुनाव भी लड़ चुके हैं। उनकी पत्नी हर काम में उनका सहयोग करती हैं। स्टेनली का एक बेटा था, जिनका हादसे में निधन हो गया है। अंग्रेजों के आगमन के समय से उनका परिवार जबलपुर में निवासरत है। ट्रंप को दिया गया उनका लीगल नोटिस शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
अधिवक्ता ने दिया ये तर्क
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति आइजन हॉवर के साथ स्टेनली के प्रपितामह अल्बर्ट लुइस का इस सम्बंध में 1951 में समझौता हुआ था। जिसके तहत उन्हें या उनके वंशजों को किंग लुइस की खोज और विकास कार्यों के एवज में अमेरिका से ये राशि मिलनी थी। हॉवर के बाद अन्य अमेरिकी राष्ट्रपतियों से अल्बर्ट का फिर स्टेनली का इस सम्बंध में पत्राचार हुआ। उक्त सभी दस्तावेजों सहित समझौते व किंग लुइस की खोज की पुष्टि से संबंधित तथ्यात्मक दस्तावेज भी हमारे पास हैं। समय आने पर इन्हें सार्वजनिक भी किया जाएगा।
– श्रीकृष्ण मिश्रा, अधिवक्ता, मप्र हाइकोर्ट