लगाई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका
जबलपुर के अधिवक्ता शिवाकांत शुक्ला ने मप्र हाईकोर्ट में इस अधिकार को स्थगित करने के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। 1976 में इनका फैसला देते हुए जबलपुर हाईकोर्ट सहित देश के 9 हाईकोर्ट ने कहा, इमरजेंसी के बावजूद बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं दायर करने का अधिकार कायम रहेगा।पांच जजों ने बदला था फैसलाहाईकोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से मौलिक अधिकारों को निलम्बित करने के सरकार के फैसले को उचित बताया। 1976 का यह ऐतिहासिक केस एडीएम, जबलपुर बनाम शिवाकांत शुक्ला मुकदमे के नाम से चर्चित हुआ। सुको की उस संवैधानिक बेंच के सदस्य थे चीफ जस्टिस एएन राय, जस्टिस एचआर खन्ना, एमएच बेग, वायवी चंद्रचूड़ और पीएन भगवती। अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने जिन आधारों पर राइट टू प्राइवेसी पर फैसला दिया, उनमें एडीएम जबलपुर का मामला अहम था। नौ जजों की फुल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के 1976 में दिए गए फैसले को खारिज कर दिया।